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________________ प्रथमप्रकाश. थयो. पड़ी महाबलवान् बाहुबलि,लश्करीउने रूना पुंजडांनी पेठे दूर करी. अगाडी वीने जरतने कदेवा लग्यो के, फोकट पापो देनारा, हाथी घोडा अने पायदलना नाशथी शुं थावानुं ? माटे जो तुं समर्थ होय, तो एकलो मारी पोतानी साथे तुं लड ? एवी रीतें बन्नेये इंछ युद्धनी प्रतिज्ञा करी, लश्करीउने लडता अटकाववाथी, ते (लश्करी) सा, दिनी पेठे जोता उना. पनी तेजेए दृष्टि युद्धनो प्रारंज करवाथी, निमेष रहित लोचनवाला थावाथी देवोए पण तेमने पोतातुल्य जाण्या. पड़ी देवोनी सादीए बाहुबलिए जरतने जीतवाथी,तेर्जए वाग्युक (संवादरूप संग्राम) नो प्रारंज कों. तेमां पण जरतनी हार थवाथी, तेए जुजा युङनो प्रारंज कर्यो. ते युद्धमां बाहुबलिना स्थिर हायपर ज्यारे जरत लटकता वांदरासरखो देखावा लाग्यो. पठी महाबलवान् बरतना बाहुने वाहुबलिए तो पोताना एक हाथथीज नमावी नाखी पनी मुष्टियुद्ध करता जरतनी मुष्टि, कांद्यापर रहेला पर्वतपर जेम समुना मोजा तेम बाहुबलिपर पडवा लागी. पठी पोतानी वज्रसरखी मुष्टि जरतने मारवाथी, ते, तेनां लश्करीउनां श्रांसुनी साथेज पृथ्वीपर पड्यो. पनी मूळ उतर्याबाद जरतें अहंकार लावी दंघातथी बाहुबलीने, हाथी जेम दांतोथी पर्वतने, तेममार्यों. पठी बाहुवलीए जरतने दंडघात करवाथी, जरत खोडेला खीलानी पेठे,घुटणसुधि जमीनमा पेसी गयो.त्यारे जरतें विचार्यु के, शुं श्रा चक्रवर्ती ले ? एम विचार कही, जेवू चक्रतुं स्मरण कयु के, तुरत चक तेना हाथमां आव्यु. पनी चरते जमीनमांधी निकली, क्रोधश्री लश्करनो हाहाकार थते उते, ते चलकता चक्रने फेंक्यु. ते चक्र बाहुबलीने प्रदक्षिणा दई पाएं फर्यु, कारण के, देवताधिष्ठित शस्त्रो खगोत्रीपर चाली शकतां नथी. एवी रीतें जरतने शरतथी विपरीत चालतो जोश क्रोधश्री लाल आंखोवाला थश, बाहुबलिए, “जरतने चक्रसहित चूर्ण करी ना" एवं विचारि पोतानी मूठी उंची करी पण पाडं मनमां विचार्य, के, जे कषायें करी श्रा नाश्नो पण वध करवाने हुँ तत्पर थयो ढुं, तेज कषायोने हुं,इंजियोना समूहने जीती नाश करूं एवी रीतें वैराग्य थवाश्री, तेज मुष्टिथी पोताना केशनो लोच करी तेणें सामायिक अंगीकार कर्यु. (ते जोइ) “साधु,” साधु,” एम शब्द करता देवोए बाहुबलिपर
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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