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________________ योगशास्त्र. वाहुवली जुकुटी चडावी समुस सरखा शब्दथी बोलवा लाग्यो के, हे दूत, ते श्रमोने दोनावनारां युक्त वचनो कहेलां डे, कारण के, दूतो तो खामिना कहेवा प्रमाणेज बोलनारा होय . हे दूत, सुर असुर तथानरोथी पूजनीय महापराक्रमी एवा पिताजी मारी प्रशंसाना हेतु नहीं, अने तेनो हेतु ते आ जरतने तो नवोज जणाव्यो!!! वली जेनो आ बलवान् वाहुवली लाइन होत, तो तेनी पासे राजा आवीने सेवा करत नहि वली अमो बन्ने वच्चे, सूर्य अने कमलनी पेठे बेटेथी पण अत्यंत प्रीति के. वली ते जाश्ना मनमां अमो हमेशां वसियेज बियें, माटे त्यां जवाथी वधारे शुं ? कारणके अमो बन्ने वच्चे स्वाजाविकज प्रीति. वली श्रमो सरलपणाथी त्यां नहीं श्राव्या, ते पण सत्य बे, पण तेमां बरतनी साथे कुटिलता शानी डे? वली विचारिने काम करनारा सत्पुरुषो खल पुरुषोनां वचनोथी कंश जनेराता नथी. वली अमारा बन्नेना एकज जयवंता झषजदेव प्रनु स्वामी ने, थने ते स्वामी उतां वली मारो बीजो स्वामी शीरीतें थर शके ? वली देव दानवोनी सेवाथी ते खुशी थयो , तोपण मारे अने एने शुं लागे वलगे ? वली इंज पण पिताजीनो नक्त होवाथी तेमना मोटा पुत्रने पोताना श्ररधा श्रासनपर बेसाडे , अने तेथी झुं तेने अहंकार श्रावेलो डे ? वली समुअसरखा तेना सैन्यमां थुलांनी मुठि सरखा सैन्यवाला तो बीजा राजा, हुं तो तेमां वडवानल सरखो बु. वली जेम सूर्यना तेजमां बीजां तेजो, तेम तेना (जरतना) पाला, घोडा, रथ तथा हाथी अने सेनापति सघला मारा आववाथी क्षय पामशे. माटे हे दूत, तुं जा अने जरतने कहे के, जो तमारे राज्य जीवितनी बाहोय,तो तमो लडवा श्रावो? में तो पिताए दीधेला जागथी संतुष्ट थश्ने तेनी पृथ्वीनी उपेक्षा करी . पड़ी तत्कण दूतें श्रावी ते समाचार कह्याथी नरत राजा बाहुबली साथे लडवाने चाट्यो. पड़ी वर्षा ऋतु वादलाउथी जेम श्राकाशने, तेम सैन्यथी पृथ्वीने ढांकतो वाहुवली पण तेनी सामा श्राव्यो. पड़ी महासुनटोरूपी ने जलचरो जेमां,एवां ते बन्ने लश्करनो, एक बीजाना अफलाता हथियारोरूपी मोजावालो जयानक नेटो थयो. ते वखतें लश्करीउनो, आमंत्रित , यम जेमां, एवो नाले जालांथी, तथा बाणे वाणोथी मोटो रणसंग्राम
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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