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________________ ५६ योगशास्त्र. पुष्पवृष्टि करी. पनी वाहुवलिए विचार्यु के, श्रा वखते प्रजुपासे जश्ने, ज्ञानना अतिशयोथी युक्त एवा मारा नाना नाने केम वंदन करूं? माटे ज्यारे केवलज्ञान थशे, त्यारे प्रजुनी सनामां जश्श, एम विचारि त्यांज मौनयुक्त प्रतिमाथी रह्या. पनी जरतें तेवी रीतनावाहुबलिने जोश्ने, तथा पोताना कुकर्मनो विचार करीने, जाणे पृथ्वीमां समा जवानीज श्वा करत होय नहीं तेम नीचं मुखकरी रह्या. पडी देहधारी शांत रस सरखा पोताना नाश्ने तेणें नमस्कार कर्यो, अने जाणे बाकी रहेला क्रोध नेज तजतो होय नहीं, तेम तेणें अश्रुजल पाडवा मांड्यु. पनी नमस्कार करतो जरत तेना(वाहुवलिना) नखरूपी आरिसामा प्रतिबिंबित थवाथी, तेनी सेवावास्ते जाणे बहुरूपी थयो होय नहीं, तेम शोजतो हतो. पड़ी ते वाहुबलि मुनिना गुणोनी स्तवनापूर्वक, पोताना अपवादरूपी रोगने औषधिसमान आत्मनिंदा करवा लाग्यो, हे मुनि, तुं धन्य , के जेणें मारी अनुकंपाथी राज्यनो त्याग कर्यो, अने हुँ तो पापी बु के जेणें असंतोषी तथा अहंकारी यश तने दुःख दीधुं.वली जेल पोतानी शक्ति जाणता नथी, तथा जेजे अन्याय करे , तथा जेठ लोजथी जीताएला , तेजेनो पण हुं सरदार बु. जेजे राज्यने जवरूपी वृदना बीजसरखं जाणता नथी, ते अधम बे, पण हुं तो तेर्जनाथी पण अधम बुं, के जे जाणतां बतां पण तेने बोडतो नथी. वली तुंज खरेखरो तातनो पुत्र बे, के जे पिताने रस्तेज चाल्यो, अने हुँ पण ज्यारे ताराजेवोथलं त्यारेज तातनो खरो पुत्र कहेवाजं. एवी रीते पश्चात्तापरूपी जलथी विषादरूपी कादवने धोइ नाखी जरतें तेना पुत्र सोमयशाने, तेनी गादीपर बेसाड्यो. त्यारथी सो शाखावालो सोमवंश चालु थयो, तथा तेमां अनेक पुरुषरत्नो थयां. पनी जरत राजा वाहुबलिने नमस्कार करी परिवार सहित, पोतानी राज्यलक्ष्मीनी बेनपणी सरखी अयोध्या नगरीमा गयो. पड़ी उस्तप तप तपतां थकां बाहुवतिने एक वर्ष वीती गयु. पडी महाज्ञानी श्रीषनदेव प्रजुए अनुज्ञा श्रापवायी ब्राह्मी अने सुंदरी तेनी पासे गश्, तथा तेने कहेवा लागी के, हे महासत्व; सुवर्ण तथा पत्थर जेने सरखां , तथा संगरहित एवा तमोने हस्तिस्कंधपर चडवू लायक नथी अने आवी रीतें रहेवाथी आपने ज्ञान शी रीतें थश् शके ? कारण के, जे वृदना मूलमां करीषनो (बाणनो)
SR No.011619
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages493
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size25 MB
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