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________________ अध्ययन वार (२७१] से भिक्खू वा भिक्षुणी वा गामाणुगानं दुईजमाणे अंतरा से प.डिपहिया आगच्छेज्जा । तेणं पाडिपहिया एवं वदेजा:-" आउसंतो ममणा, अवियाई एत्तो पडिपहे पासह उदगपसूयाणि कंदागि वा मूलागि वा तयाणि वा पत्ताणि वा पुप्फाणि वा फलाणि वा बीयाणि मा 'हरिताणि वा, उदग वा संणिहियं, आणि चा संणिक्खित्तं, सेसं तं चेब, से आइक्ख ह, जाव, दूईजेज्जा । (७५९) से भिषखू वा भिक्षुणी वा गामाणुगाम दुईज्जमा अंतरा से पाडिपहिया उवागच्छेज्जा । तेणे फडिपहिया एवं वडेजा:-" आउसंतो समणा, अवियाई एचो पडिपहे पासह जवसाणि वा जाव सेणं वा विरूवरूवं संणिविटुं; से आईक्खह, जाव दुईज्जेज्जा । [७६०] से भिक्खू वा भिक्खणी वा गामाणुगार्म दुईज्जमाणे अंतरा से पाडिपहिया जान “ आउसंतो समणा, केवतिए एत्तो गामे वा जाव रायहा एज रीते मुनि अथवा आर्याने ग्रामानुग्राम फरतां वच्चे कोइ वटमागु र अने ते पूछे के "हे आयुष्मन् श्रमणो, तमे आ रस्ते जो कंद, मूळ, पान, फल फळ, वीज, वनस्पति, पाणीनो जथ्यो, के अमिजोइ होय तो अमने कहो अने वतावो" त्यारे मुनि फे आयोए ते बावत तेमने कंइ पण कहें, करवं नहि अने तेमना ते सवालनो कशी रीते स्वीकार न करता मीन धरी रहेव अथवा जाणतां छता "जागु छ एम न बोलवु" [७५९] मुनि अथवा आर्याने ग्रामानुग्राम जहां रच्चे कोइ क्टेमार्गुओ मळे, अने नेओ एवं पूछे के "हे आयुप्मन् श्रमणो, आ मार्गपर तमे धान्य, के पडाव नावी पडेलं जूदं जूदं लश्कर देखता हो तो कहो अने बतावो." आवे वखते पण मुनिए उपर गमाणेज मौन रहे अथवा "हुँ जाणुं हुं एम न बोल. (७६०) एज रीते मुनि तथा आर्याने ग्रामानुग्राम जतां कोइ वटेमार्गुओ एवं पूछे के हे आयुटरा श्रमणो, " धी हवे कयुं गाम के शहेर आवशे" त्यारे पण मुनिए
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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