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________________ अध्ययन नवमु. संबुज्झमाणे पुणरवि, आसंसु भगवं उद्याए; णिक्खम्म एगया राउ, बहिं चंकमित्ता मुहुत्तागं ६। (४८९) सयहिं । तस्सुवसग्गा, नीचा आसी अणेगरूवा य, संसप्पगाय २ जे पाणा, अदुवा पक्खिणो उवचरंति ३ १७ (४९०) अदुवा कुचरा उवचरंति, गामरक्खाय सत्तिहत्था य; अदु गामिया उबसग्गा, इत्थी एगति या पुरिसो वा. १८ इहलाइयाई परलोइयाइं भीमाइं अणेगरुबाई; अवि सुब्भि-दुन्भिगंधाइं सद्दाई अणेगरुबाई ।९। अहियासए सया समिते, फासाइं बिरूवरूबाई; [४९२] ५ शयनेषु वसतिषु शयनै र्वा. २ अहिनकुलादयः ३ मांसादिकं भक्षयंति - तेओ निद्राने कर्म बांधनारी जाणता थका जागता रहेता. कदाच निद्रा आववा मांडती तो तेओ शीआळानी रात ताढमां बाहेर जइ मुहुर्त लगी ध्यान लीन थइ निद्रा टाळता. [४८९] उपर जणाबला स्थलोमा रहेतां भगवानने भयंकर अनेक प्रकारना उपसर्ग : (दुःख) थया. सर्प विगैरे जंतुओ तथा गीध विगैरे पंखिओ आवी भगवानने करडता हता. [४९०] ___जार पुरुषो शून्य घरमा कुकर्म करवा जतां भगवानने देखी उपसर्ग करता गामना रखेवालो शक्ति विगेरे हथीआरो हाथमां धरी भगवानने उपसर्ग करता. पळी विषयवांछनाथी भगवानने लोको उपसर्ग करता ; जेम के भगवानने एकला देखी तेमना रुपथी मोहित थइ व्याकूल बनेली स्त्रीभो विषय भोग माटे तेमने प्रा. ईना करती, तथा पुरुषो पण सतावता हता. [४९१] ए रीते भगवाने मनुष्य तथा तिर्यचो तरफथी अनेक प्रकारनी भयंकर सुगधि तथा दुर्गधि वस्तुओना तथा अनेक जातना शब्दाना, वीहामणा उपसर्ग हमेशा समितिथी वर्त्ततां थकां सहन कर्या. ४९०]
SR No.011502
Book TitleAng 01 Ang 01 Acharang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavjibhai Devraj
PublisherRavjibhai Devraj
Publication Year1906
Total Pages435
LanguagePrakrit, Gujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & Conduct
File Size17 MB
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