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________________ ३३ । रतन परीक्षक। ॥ कीमत जाकी तेज है। तेज तेग संग जान ।। ॥ तेग दिखावे जगत में। सोपावे जस मांन । । देग तेग जग जाहुपें । सो भोगे सुख सार ।। ॥ विना तेज भोगे नही। ऐसें लोक विहार ॥ ॥ अथ ऐमनी विधानम् ॥ ॥चौपई॥ ॥ पैदा नदी नर्मदा जानो। हकीक साथचा पैदा मानो॥ ।। गहरा लाल रंग परि मान । उत्तम स्यही लिए पछान ॥ । इसके अंदर ऐसा जानों । दरयाइ लहरवत लहर पछांनो ।। ॥ नाम इलाचा सोइ कहावे । पत्थर चिकना सखत दिखावे ॥ । असल परीक्षा जाविध होई । कच्चा धागा बांधे कोई॥ ॥ तोफनि अग्नि मव्य धरावे । जले न धागा उत्तम गावे ।। ॥ जोनर जाको धारण करे । निश्च चौर अग्नी भय टरे ।। ॥दोहरा ॥ ॥ उत्तम की कीमत सुनो । दस रत्ती तक तोल ॥ ॥शाह महंमद हर्श मन । दिआ पांच से मोल ।। चोपई ॥ दोरत्तो तक दसवा जानो। सौ रुपैआ कीमत मांनो॥ ॥ दो रुपए तक सो जांन । हकीकी खोटा समझ पछांन ।। ॥इति ऐमनी विधानम् ॥ ( अब आगे और संगों का वर्णन करते हैं ) जवर जद्द ॥ यह मुसल मानी पसंद है, इसका रंग सबज़ निर्मल होता है और इस में सूत नहीं पड़ता है-इसको करकेतक भो कहते हैं-यदि यह निर्दोिष और छाया पीत होवे ओर तोल भारी होवे तो उत्तम है और यदि रुधिर के समान लाल रंग का हो वे अथवा मधु वर्ण या कमल या चंद्रवत होवे तो यह धन,
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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