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________________ ३२ । रतन परीक्षक। यश, आयु कारक हैं. यह पंग आदि जंगलों बीछ वृह्मा देश या सैंलान देश में पैदा होता है. इसके पहरने से सब गृह राजी हैं ॥ उपल॥ यह नाना प्रकार के रंगों का होता है और इस के अपर हर एक मा को अवर पड़ता है इसका रंग पनि प्रकार का होता है जान पबगज की लेकिन हलका दग्स इसका रंग किमिनी जर्दी ऊपर होताहै. नौल में हलका और संग नर्म होता है. इस के नगीने सुंदर माणिक के समान वाले हैं. खोटा माणिक भी बनता है. हिमालय गृह्मा या साम देश के पहाडों में मिलता है मुनला ॥ इसको रंग जर्द तोल हलका पेदा विलायत वा पहाड़ों वीच होता है ॥धुनेला ॥ इसका रंग सीन के पूर्व के समान होता है. पेदा पारस देज पहाड़ो बीच होता है ॥ कंटला ॥ इसका रंग ऊदो या जामन के रंग के समान होता है.पैदा दिलायत या सलान देश में होता है ॥मिनारा॥ बहुत प्रकार के रंग का होता है ऊपर सोने का छोटा फटिक बिलार ॥ इसका रंग चिट्टा सफेद होता है. इस को पैदाइशमन्यदेश
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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