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________________ २४ जैनधर्मपर व्याख्यान. (५) कल्पसूत्र, आचाराङ्गसूत्रादि जैनग्रन्थों में महावीरको ज्ञातृपुत्र अथवा नातपुत कहा हुआ पाया जाता है; ज्ञातृका अपभ्रंश नाडीका अथवा नाटिका बौद्धग्रन्थोंमें मिलता है, जैनियों का दूसरा प्राचीन नाम निर्ग्रन्थ है. जैनियोंको बौद्धग्रन्थों में निग्गंथनत्तपुत्त अर्थात् ज्ञातृका पुत्रका शिष्य निर्ग्रन्थ कहा है, उसी प्रकार नत्तपुत्तका अर्थात् महावीरकी दन्तकथा जैनधर्मकी कई दन्तकथायें डाली हैं; कई टिकाणोंपरा उल्लेख है. महावग्ग और महापरि । from इन दो बौद्धग्रन्थोंने जैनधर्मका उल्लेख हैं. पार्श्वनाथ अथवा पारसनाथका चातुर्यामधर्म भी कहा है. इसपरसे यह सम्पूर्ण उल्लेख जै... षयक ही होना चाहिये इसमें कोईसन्देह नहीं होता. (६) ब्राह्मण ग्रन्थकाराने व बौद्ध इन दोनों धर्मोका अपने ग्रन्थोंमें उल्लेख किया है; परंतु एक दूसरेसे निकला ऐसा कहीं भी नहीं कहा, शंकरदिविजय शंकराचार्यने बौद्धांसेनाराणसी क्षेत्रमें और उज्जयनीमें जैनियोंसे विवाद किया था ऐसा कहा है, जैन व बौद्धधर्म एक सरीखे होते तो दो बार जुदे २ स्थलोंमें प्रसंगीं विवाद करनेकी आवश्यकता नहीं थी, मध्वस्वामीने 'सर्व दर्शन संग्रह ' में उस समय प्रचलित दक्षिण प्रान्तके दर्शनोंका विवेचन किया है, उसमें जिसप्रकार बौद्धदर्शन दिया है. उसी प्रकार जैनदर्शन भी लिखा है, 'अद्वैत ब्रह्मसिद्धि, गमक ग्रन्थमें बौद्धोंके चार पंथ बतलाये गये हैं. उसमें जैन यह उनमैका एक था. ऐसा बिलकुल भी नहीं कहा, वाराहमिहिरने 'शाक्यान् सर्व हितस्य शान्त मनसो नग्नान् जिनानां विदुः अर्थात, बौद्ध लोग शान्त चित्त और सबका कल्याण करनेवाली मूर्तिको भजते हैं और जैन नग्नमूर्तिको ऐसा कहा है; और बराहमिहिरको जैधर्मके विषय में परिचय होना ही चाहिये. कारण उसके साक्षात भाई भद्रबाहु यह जैन थे और ये दोनों एक ही राजाके दरबार में थे, दोनों ही विद्वान् ज्योतिषी थे. ऐसी दंत कथा कहते हैं कि, उस राजाके पुत्र हुआ तब राजांने बराहमिहिरकृत उसकी जन्मपत्रिका देखी तो उसकी दीर्घ आयुष्यादि वराहमिहिर के वचनोंसे मान्यकर राजाने बड़ा भारी पुत्रोत्सव किया व दरबार भरवाया, उस समय सब सरदार, प्रतिष्ठित, विद्वान व आश्रित एकत्र हुये थे. भद्रबाहु मात्र नहीं आये, यह देख राजाने भद्रबाहको बुलाकर उनसे
SR No.011027
Book TitleLecture On Jainism
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLala Banarasidas
PublisherAnuvrat Samiti
Publication Year1902
Total Pages391
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size14 MB
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