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________________ (६८) (260 ) ॥ श्री सम्वत १८३० माघ शुक्ल ५ चन्द्र ओसवंशे गहलडा गोत्रे जगत्सेठजी श्री फते चन्दजी तत्पुत्र सेठ आणंदचन्दजी तत्पुत्र जगत्सेठजी श्री महताव रायजी तद्धर्म पत्नी जगत्सेठाणीजी श्रीशंगारदेजी श्रीमदेकादश गणधर पादुका कारापित। स्था० राजगह नगरोपरि मार गिरी॥ ( 261 ) सम्बत १८७४ वर्षे शाके १७३९ मिति जेष्ठ वदि ५ सोमदिने श्री व्यवहार गिरि शिषरे श्री पार्श्वनाथ चरणन्यासः प्रतिष्ठितं म० श्रीजिन हर्ष सूरिमिः। ( 262 ) सम्वत १८७४ वर्षे शाके १५६ मिति ज्येष्ठ वदि ५ सोम दिने । श्री व्यवहार गिरि शिषरे । श्रीयुगादि देव चरण न्यासः प्रतिष्ठितं । महारक श्री जिन हर्ष सूरिभिः ॥ ( 263 ) सुन स० १६०० वर्षे मार्गशीर्ष मासे शुक्लपक्ष १० दशम्यां तिथौ शुभवासरे श्रीमत् शांतिनाथ चरण कमलप्र० श्रीमत् वहत्खरतर ग. श्री जिन रंगसूरीश्वर साखायां व.. यं० यं० श्री जिन नन्दी वर्द्धन सूरि राज्ये वा०श्रीमुनि विनय विजयजि तत् शिष्य पं. मु. कीर्युदयोपदेशात् ओसवाल बं० बाबू मोहन लाल कस्यात्मज बाबू हकुमत रायेन प्र. का• शुभमस्तु ॥ ( 284 ) अनमः सु० सं० १९०० वर्ष मार्गशीर्ष मासे शु० पक्षे १० द० श्री पद्म प्रभुकस्य चरण क० प्र० श्री वृ०प० ग० भ० श्रीजिन नन्दी वर्द्धन सूरीवा० श्री मुनि विनय विजयजि तत् शि० मु० कीर्युदयोपदेशात् बाबू पुस्याल चन्द पीपाडागोत्रीयास्य पत्नी पराण कुंवरेन प्र.का. श्री वैमार गिरे सुभमस्तु ।
SR No.011019
Book TitleJaina Inscriptions
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPuranchand Nahar
PublisherPuranchand Nahar
Publication Year1918
Total Pages326
LanguageEnglish
ClassificationBook_English
File Size13 MB
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