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________________ १३४ १३८ १४४ प्राकाश द्रव्य ११९ पुद्गल द्रव्य १२३ वैशेषिक दर्शन की १२९ स्कन्ध की उत्पत्ति पदार्थ मान्यता श्वेताम्बर परम्परा दिगम्बर परम्परा शब्द वन्ध १३७ सोक्षम्य १३८ स्यौल्य सस्थान भेद १३९ तम १३९ छाया,आतप पोर १३९ कालद्रव्य उद्योत बन्ध-मोक्ष-मीमांसा-तृतीय अध्याय जीव और कर्म सवध १४३ पुण्यतत्त्व क्यो और उसका अत कैसे होगा? पापतत्त्व १४८ प्रास्त्रवतत्त्व सम्बर तत्त्व १५२ बन्ध तत्त्व कर्मविचार का मूल कालवान १५७ स्वभाव यदृच्छावाद १५९ नियतिवाद अज्ञानवाद जैनो का समन्वयवाद १६२ ।। कर्म का स्वरूप नैयायिक,वैशेषिक और १६४ जैन योगदर्शन और जैन १६६ साख्य और जैन . १६७ बौद्ध दर्शन भीमासक दर्शन १७० कर्म के भेद १७० कर्म की मूल और उत्तर १७२ प्रकृतिया १५० १५३ १५४ १५८ १६९
SR No.010874
Book TitlePrashno Ke Uttar Part 1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages385
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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