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________________ तेतीपइम सत १००६ ४८ भवसिद्धीयअपज्जत्तासुहमपढविक्काइयाण भते । कति कम्मप्पगडीओ पण्ण त्तानो ? एव एएण अभिलावेण जहेव पढमिल्लगं एगिदियसय तहेव भवसिद्धीय सय पि भाणियव्वं । उद्देसगपरिवाडी तहेव जाव अचरिमो' त्ति । ४६ सेव भते ! सेव भते । त्ति । छठं सतं ५० कतिविहा ण भते । कण्हलेम्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता ? गोयमा । पचविहा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता, त जहा पुढविक्काइया जाव वणस्सइकाइया ।। ५१. कण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा । दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविक्काइया य, वादरपुढविक्का इया य ।। ५२ कण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइया ण भते ! कतिविहा पण्णत्ता ? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा–पज्जत्तगा य, अपज्जत्तगा य । एव बादरा वि । एएण अभिलावेणं तहेव' चउक्कयो भेदो भाणियव्वो ॥ ५३ कण्हलेस्सभवसिद्धीयअपज्जत्तासुहमपुढविक्काइयाण भते । कइ कम्मप्पगडीयो पण्णत्तायो ? एव एएण अभिलावेण जहेव ओहिउद्देसए तहेव जाव वेदेति ॥ ५४ कतिविहा ण भते | अणतरोववन्नगा कण्हलेस्सा भवसिद्धीया एगिदिया पण्णत्ता? गोयमा । पचविहा अणतरोववन्नगा जाव वणस्सइकाइया । ५५ अणतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयपुढविक्काइया ण भते । कतिविहा पण्णत्ता? गोयमा | दुविहा पण्णत्ता, त जहा-सुहुमपुढविक्काइया, एव दुयो भेदो ॥ ५६ अणतरोववन्नगकण्हलेस्सभवसिद्धीयसुहुमपुढविक्काइयाण भते | कइ कम्मप्प गडीग्रो पण्णत्तानो ? एव एएण अभिलावेण जहेव ओहिरो अणतरोववन्नउद्देसओ तहेव जाव वेदेति । एव एएण अभिलावण एक्कारस वि उद्देसगा तहेव भाणियव्वा जहा प्रोहियसए जाव अचरिमो त्ति ।। १. अचरिम (ख, ता, ब)।
SR No.010873
Book TitleJainagmo Me Parmatmavad
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashanalay
Publication Year
Total Pages1157
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size50 MB
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