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________________ 94 याधुनिक विज्ञान और हिमा जेनेवा सम्मेलन मे, जो 'लीग ग्राफ नेगन्न' के प्रयत्नों से हुआ था, सोवियत संघ ने पूर्ण नि.गस्त्रीकरण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान करने हेतु अन्य देशो का आदान किया था। पर वह प्रस्ताव हमी में उड़ा दिया गया। युद्धोत्तर काल मे भी सोवियत संघ ने आणविक गन्त्री का पूर्ण निरोच, गस्त्रास्त्र व सेनायो मे नीव कटीती, विदेशी राज्य क्षेत्रो में स्थापित सेनासगम की समाप्ति तथा नि गस्त्रीकरण सम्बन्धी अनेक समस्याओं पर प्रस्ताव रखे । उसने स्वय ने भी बीस लाख से अधिक सैनिक कम कर दिए । अन्य देशों के रूसी मेनास गम समाप्त कर दिए। हमानिया से सेना पुनः बुला ली। जर्मन लोकतन्त्रात्मक गणराज्य में भी सोवियत सेना कम कर दी और यह निश्चय किया कि यदि पश्चिमी राष्ट्र पहल नहीं करते वह अाणविक हथियारो का पुन. परीक्षण न करेगा । खेद है कि सयुक्त राष्ट्रसंघ के चौदह वर्षों के अनवरत परिश्रम के बावजूद भी न केवल इस विषय मे समझौता ही हो सका है वरन् शस्त्रीकरण की प्रतिस्पर्धा मे विस्फोटक पदार्थ भी एकत्र हो गए है। जिनकी एक चिनगारी ही विश्वविनाग के लिए पर्याप्त है। विश्व मे ऐमी स्थिति त्रजित हो गई है कि यदि उद्जन बम ले जानेवाले वायुयान के किसी यन्त्र मे खरावी हुई या नियन्त्रक से किसी भी प्रकार क्षणिक प्रमाद भी हो गया तो विश्वयुद्ध छिड सकता है। ऐसे नाजुक समय पर भी निकिता खुश्चेव (सोवियत संघ के मत्रीपरिपद् के अध्यक्ष) ने गत १८ सितम्बर, १९५६ को पुन. संयुक्त राष्ट्र संघ के सम्मुख प्रस्ताव रखा "सभी देश चार वर्गों के भीतर पूर्णत नि शस्त्र हो जाएं, ताकि युद्ध छेडने के लिए उनके पास कोई साधन ही न रहे।" साथ ही उन्होने जल, स्थल और नभ सेनायो को सर्वथा हटाने एवं शस्त्रास्त्रो का निर्माण सर्वथा वन्द करने का प्रस्ताव श्री आईक के समक्ष रखा था। आईजनहावर द्वारा रूस का यह प्रस्ताव सत्कृत हुआ। यह प्रस्ताव सोवियत संघ के दुर्बल प्रतिनिधि की ओर से नहीं, वरन् विश्व के सर्वोच्च शक्ति सम्पन्न सोवियत संघ के मन्त्री परिपद् के अध्यक्ष की ओर से आया है। जिसने चन्द्रमा को वेषकर समस्त विश्व से अपना लोहा मनवा लिया है । स्वभावत. इसको हवा मे नहीं उड़ाया जा सकता ! इस
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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