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________________ मणुपरीक्षण प्रतिव एव निशस्त्रीकरण 93 करण उपसमिति का एक एसा सम्मेलन हुआ जिसम सुरक्षापरिषद के सभी सदस्या ने भाग लिया। यहाँ भी काफी समय तक विचार विनिमय करने के बाद भी पागाप्रद निष्पप न निकला । उसी समय अन्तर्राष्ट्रीय वातावरण भी एसा वन गया जिससे यह सारी योजना वचारिक जगत तक ही सीमित रही और आखिर मे रूस को इस सभा का बहिष्कार करना पड़ा। अब इस समस्या को सयुक्त राष्ट्रसघ की महासभा म भारत के प्रतिनिधि ने उठाया था, जिसका उद्देश्य था कि नि शस्त्रीकरण के काय को और भी अधिक व्यापक बनाने के लिए शान्तिकामी सभी देशों को सम्मिलित किया जाए। हाल ही म रूस ने सुझाव दिया कि वडे-बडे राष्ट्रा के प्रधान मिल कर लें और इस प्रश्न पर पुन विचार कर । पर अमेरिका असहमत रहा। उसके विचार म पहले तीन बड़े देशा के विदेश मन्त्री ही विचार करें और वाद म प्रधाना का सम्मलन हो । वात तो सामा य थी, मुख्य प्रश्न तो निशस्त्रीकरण का था जिस पर कोई न कोई निणय शीघ्र होना अनिवाय था । यदि बडे राष्ट्र दपवृत्ति का परित्याग कर शस्त्रीकरण को समाप्त कर दें तो निश्चय ही जनजीवन म गान्ति साकार हो सकती है। प्रसन्नता की बात यह हुई कि वुलगानिन एव स्थश्चेव के सत्तारूव होने के पश्चात्म्स की स्टालिन की सरूत और अन्य दशा के प्रति घृणा की नीति में भारी परिपतन हो गया। पर वहाँ के प्रधान मत्री किसी भी देश के साथ वार्तालाप द्वारा समाधान निकालने को तत्पर दिखलाई देते हैं । जेनवा या सम्मेलन हुमा, जिससे भागा बैंधी थी कि अब अन्तराष्ट्रिीय युद्ध समाप्त हो जाएग। पर वहां भी दानाजमन प्रदशा को मिलाने की नीति के प्रश्न पर एक मोर विभेद सडा हो गया। इससे इतना काय अवश्य हुमा कि प्रतिद्वन्द्वी गुटा म सदेह पोर गलत धारणापा के वादल फट गए। इन घटनामा के बाद प० नेहरू कम और अप देशा म सान्ति का सदश लेपर गए। स्म का कथित लाह प्रावरण उठ गया । इस के प्रधाना के प्रोदाय के कारण मतराष्ट्रीय राजनीतिक क्षेत्रों में नवीन धारणाए मुदृढ हो गइ । ५० नेहरू का शान्ति के लिए अमरिता फा प्रवास भी मुखद रहा। विश्व युद्ध की स्थिति में सुपार म बल मिला । स्म पोर अमरिका के बीच मत्रीमा मूत्रपाल हुमा। पीतयुद्ध म रमी हुई।
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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