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________________ विज्ञान द्वारा सुन समृद्धि भवन निर्माण पता न भी एक नूतन ही रूप धारण कर लिया है। सक्डा मजिल के गगनचुम्बी भवन कुछ ही महीनो में तयार हो जाते हैं। विश्व की जनसख्या म अत्यधिक वृद्धि होने के कारण जटिल बनी खाद्य समस्या को भी विनान ने बहुत हद तक सुलझाने का प्रयल किया है। सिंचाई के लिए नहरें और नलकूप खोदवर ऐसे भूभागा तक पानी पहुँ चाया गया है जो युगो में बजर पडे थे । जलविद्युत् भी कृपक के लिए एक महान वरदान सिद्ध हुई है। आज कृषि क्षेत्र में बीज वान से लेकर फगल काटने तक के मभी वाय यज्ञानिक उपकरणो मे होते हैं । परिणामन मनुष्य की अनकानेक मुमीरतें कम हो गई हैं। आधुनिक युग में नगर दत्य की तरह विशाल से विशालतर बनते जा रहे हैं और ज्या-ज्या उनम जनमस्या की वृद्धि होती है, त्या-त्यो स्व. च्छता की समस्या भी महत्वपूर्ण वनती जाती है। मगर विज्ञान ने इस समस्या के ममाधान में भी पूण याग प्रदान दिया है । जल के छिडकाव के साधन, जमीन के नीचे की नालियो तथा पलग-यह सब विगान के ही उपहार है। प्राचीन काल में मनुप्य पदल या घाडा, ऊँटा, हाथियो अथवा बल गाडिया प्रादि स यात्रा करता था । यात्रा के यह सब साधन मथरगति, याप्टप्रद एव मरटमय थे। उनीसवी शताब्दी में भाप इजन के प्राविणार ने मावीय गम्यता के क्षेत्र में एक नवीन और अद्भुत युग की सृष्टि की। पशुभा द्वारा गौची जाने वाली गाडियामा म्यान रेलगाडिया ने ले लिया पर तो मनुष्य भूत सी तरह पृषी तल पर सरपट दौड लगा सकता है। ध्यामयाना ने ताविद्यन्चालित गाडिया वो भी मात पर दिया है। ____ यदिामनुप्य प्रामा में उड़न के मापन देना करता था। यूनानी पौराणिर यथामा म डाडग की वथा कुछ इसी प्रकार की है। वह अपने पुत्र प्रसारमो माय ग उडार इटली पहुंचा था पियाना व अनुगार चार-पट ने अपने बाहुमा पर पक्षिया ये पग बौर रमे थे। भारतीय साहित्य म भी पामयाना ये पना यणन मिलत मात्रा जन प्रयो में विद्याधर मर एवं मानर जाति का उन्नय है, जिस पाग
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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