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________________ चौंतीस सामूहिक अहिंसा के अभिनव प्रयोग प्राचीन काल में कुछ अपवादा को छोडकर, अहिंसा के प्रयोग प्राय ___ व्यक्तिगत हुए हैं किन्तु महात्मा गाधी 1, भगवान महावीर, महात्मा बुद्ध और ईसा ममोह प्रादि महापुरषो द्वारा प्रतिपादित महिमा कामथन करने अनेक सामूहिक प्रयोग कर बताय थे । अतएव अाज अहिमा के सामूहिक प्रयोग पठिन नहीं हैं। विनान प्राज वदी तेजी म छलांग मार रहा है और इस कारण विश्व अत्यन्त छोटा बन गया है। वनानिक मुविधामा के कारण प्राज एवं देश का मानव दूसरे देश के मानब से अधिक दूर नहीं मालूम होता । अतएव अहिंसा की गति भी तीन करनी होगी। निष्ठापूवव सामूमि प्रयोग ही हिंमा की गति मे तीव्रता ला सरते हैं और उसे अधिर क्षमतावान् या सरते हैं। प्राचीन काल मे तीव्र वेगी वज्ञानिव माधन न होने से एक देश से दूसरे देश तप मवाद पहुंचाने में महीना लग जाते थे, वप भी व्यतीत हो जाते । अतएव एक देश की घटना का प्रभाव दूसर देश पर नगम्य-गा होता था। परन्तु आज यह बात नहीं रही। प्राज एवं देश को गतिविधि पा प्रभाव दूसरे देगा पर तसाल पडना है। हिमप प्रभाव उत्पन रन वाली घटनाएँ वठी तजी मे पंचती हैं । अहिमा की गति वेगवान नहाने से उसका प्रभाव बहुत बम होता है । अतएव यह प्रत्यावश्या है कि महिंसा वी गति को बढ़ाया जाय और उममा उपाय है सामाजिक जीवन के विभिन क्षेत्रा म महिसा का अधिक से अधिक प्रयोग वग्ना। किमी भी समाज या राष्ट्र म परिपतन लाने के लिए तीन बातो की पारपाता होती है। हृदय-परिपतन, विचार-पग्वितन पोर परिस्थिनि-परिवतन। माज के विमान से प्रभावित मगार में परिवतन साने के लिए तथा
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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