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________________ 110 आधुनिक विज्ञान और अहिंसा हासिक वटनाएँ भी मिल सकती है। यह तो एक माना हुआ तय्य हे कि बड़े-बडे साम्राज्यों की स्थापना सदैव दुर्वल रप्ट्रो के गोपण से ही सम्पन्न हुई है। इसलिए अहिंसा की गक्ति को मर्यादित किया गया। केवल निरपराध राष्ट्री पर जान-बूझकर पाक्रमण न करके राष्ट्रीय स्वतन्त्रता की सुरक्षा के लिए, अपना अस्तित्व बनाये रखने के लिए और प्रत्येक राष्ट्र को स्वय समर्थ वनाना अनिवार्य माना गया । फलत' मानव ने क्षम्यरूप से हिंसा को अपनाया। यद्यपि मानव सभ्यता इतनी विकमित हो गई है कि विश्व के इतिहास ने महात्मा गाधी के अहिंसात्मक प्रयोगो द्वारा नया मोड़ लेने पर भी विवादों को मुलझाने के लिए अन्ततोगत्वा हिसात्मक साधन ही प्रयुक्त होते हैं। इस सम्बन्ध मे उनकी कई बाने विचारणीय है। ___1 अगर विगत विश्वयुद्धके वीच इग्लैण्ड, फास तथा अन्य मित्रराष्ट्र शीत्र ही युद्ध सामग्री एकत्र न करते तो निश्चय ही लोकतन्त्र तथा सभ्यता नाजियो के पैरो तले रौदी जाती। 2. काश्मीर तथा भारतीय सेनाएँ काश्मीर मे कबालियों के आक्रमण का अवरोध न करतीं तो.काश्मीर आज खण्डहर के रूप मे दृष्टिगत होता। 3. यदि भारत सरकार रजाकारो एव हैदराबाद राज्य के विरुद्ध पुलिस कार्यवाही न करती तो कथित उपद्रव सम्पूर्ण दक्षिण भारत मे फैल जाते। 4. इसी प्रकार उपद्रवी नागा लोगो ने जव शान्तिपूर्वक समझना न चाहा तव स्वर्गीय गृहमत्री पडित गोविन्दवल्लभ पन्त को उनके विरुद्ध कठोर कार्यवाही करनी पड़ी। 5. इण्डोनेशिया के युद्धो मे से भी यह वात प्रकट होती है। वहाँ के राष्ट्रदल तनिक भी दुर्वलता बताते तो विदेशियो का प्रभुत्व स्थापित हो जाता । अर्थात् कोरिया में अमेरिकन आधिपत्य स्थापित कर लेते और इण्डोनेशिया में फ्रासीसी। 6. इसी प्रकार भारतीय शासन कठोरता के साथ साम्यवादियों के
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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