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________________ 100 आधुनिक विज्ञान और अहिंसा नवीनतम रूप पाते रहे है । वास्तव में देखा जाए तो अहिंसा की उपयोगिता अमर्याद और अचिन्त्य है। अहिंसा का चमत्कार . सरतगच्छीय ज्ञान मन्दिर, पाय अहिंसा विश्व की प्रात्मा है । भयभीतों की शरण है । भूखा का भोजन और प्यासो का पानी है । इसलिए अहिंसा का स्थान सभी दर्शन और धर्मों मे विगिप्ट है । अहिंसा ने वर्तमान युग में वे कार्य करके दिखलाए है, जो अव तक मानव की कल्पना मे परे थे। जिसका खलत उदाहरण 44 करोड़ भारतवासियो की स्वतन्त्रता, कोरिया का गृह-युद्ध और हिन्द-चीन की अन्तरग समस्या है । प्रस्तुत घटनाएँ हमे अहिसा की ओर मुड़ने के लिए प्रोत्साहित करती है। आज अहिंसा का मार्ग सबसे अधिक प्रशस्त बनाने की आवश्यकता है। अहिंसा को केवल तामयिक नीति के रूप मे न अपनाकर सिद्धान्त के रूप में अपनाने की आवश्यकता है। जब अहिंसा केवल सिद्धान्त के रूप में न रहकर आचरण के रूप मे पायेगी तभी देश और राष्ट्र की विकट समस्याएं समाप्त हो सकती है। सारांश यह है कि यदि विज्ञान पर अहिंसा का वरदहस्त रहातो विज्ञान मानव जाति के व्वंस के बदले स्वर्ग का एक अभिनव द्वार खोल देगा। इसलिए आज के इस वैज्ञानिक युग में अहिंसक वातावरण निर्माण की दिशा मे राष्ट्र के महान् अहिंसा प्रेमियो को बहुत कुछ आगे बढना है। पो तरतरगच्चीय ज्ञान मन्दिर, जापुर
SR No.010855
Book TitleAadhunik Vigyan Aur Ahimsa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGaneshmuni, Kantisagar, Sarvoday Sat Nemichandra
PublisherAtmaram and Sons
Publication Year1962
Total Pages153
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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