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________________ बलिनामुनिनी सद्याय. मान, हश्यामां तेहने ॥ ३ ॥ विरह व्यथानी पीड, जोवन वय अति दहे ॥ जेनो पीयु परदेश, ते माणस दुःख सहे ।। कुरी कुरी पंजर कीध, काया कमलज जिसी ॥ हजिअ न आव्यो नेम, मलि न नयणे हसी ॥४ ॥ जेहने जेहशुं राग, दाल्यो ते नवि टले ॥ चकवा रयणी विजोग, ते तो दिवसे मले ॥ आंबाकेरो स्वाद, लिंबू ते नवि करे ॥ जे नाह्या गंगा नीर, ते दिल्लर किम तरे ॥ ५ ॥जे रम्या मालती फूल, धतूरे किम रमे ॥ जेह ने घृतशुं प्रेम ते, तेलें किम जिमे ॥ जेहने चतुरशुं नेह ते, अवरने शुं करें। नव जोबन तजी नेम, वैरागी थइ फरे॥६॥ राजुल रूपनिधान, पोहोती सहसावनें ॥ ज वांद्या प्रन्नु नेम, संजमलेश एकमने ॥ पा भ्यां केवलज्ञान, पोती मननी रली ॥ रूपविजय प्रनु नेम, नेटे आशा फली ॥ ७ ॥ इति नेमराजुलनी सद्याय ॥ ॥अथ बलिनामुनिनी सद्याय॥ . ॥शा माटे बंधव मुखश्री न बोलो, आंशुडें आनन घोतां मोरारी२॥ पुण्यजोगें दडियो एकपाणी, जड्यो जंगल जोतां मोरारी रे ॥शा ॥ ॥ १॥ ए आंकणी॥त्रीकम रीश चंढी तुजने, वनमांहे वनमाली मो रारी रे॥ वडार वारर्नु मनाएं वाला, तुं तो वचन न बोले फरी वाली मोरारी रे॥शा॥२॥ नगर। रे दाधीने शुइन लाधी, महारी वाणी निसुण वाला मोरारी रे ॥ आ वेलामा लीधो अबोलो, कानजी कां श्रया काला मोरारी रे । शा॥३॥शीशी वात कहुं शामलीया, वीउलजी आ वेला मोरारी रे.॥शाने काजे मुजने संतापे, हरि हसी बोलोने हेला मोरारी रे॥शा ॥४॥प्राण माहारा जाते पाणी विण, अधघडीने अएगबोल मोरारी रे ॥आरति सघली जाये अलगी, बांधवजोतुं बोले मोरा र। रे॥शा ॥ ५ ॥ षटमास लगे पाल्यो बोलो, हैया नपर अति हिते मोरारी रे ॥ सिंधु तटें सुरने संकेते, हरि दहन करम शुन्नरी मोरारी रे॥ शी ॥६॥ संयम लइ गयो सुरलोकें, कवि नदयरतन इम बोले मोरारी रे । संसारमाहे बलदेव मुनिने, कोइ न आवे तोले मोरारी रे ॥ शा॥ ... . ॥अथ मन जमरानी वैराग सद्याय ।। ॥ नूल्यो मन नमरातुं क्या जम्यो, नमियो दिवसने रात ॥ मायानो बांध्यो प्राणियो, जमे परिमलजात ॥ नूल्यो॥१॥ कुंज काचो रे
SR No.010852
Book TitleSazzayamala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1988
Total Pages425
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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