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________________ (२६) जमरिया-जमरी. मसगा-मबर. तिड्डा-तीमः कसारीकसारी. मबिय-माखी. कविल-करोलीया. मसा-सांस. मोलाई-खरूमांकमी. अर्थः-( चरिंदिया के) चौरिंजिय जीवो श्रा :-( विलू के) किंतु ए जातना फेरी जीवो थाय बे, तेना पूंबमामां एक कांटो होय जे, तेना भारथी माणसने विष चडे बे, ते विठी एवे नामे लोकमां प्रसिद्ध ले. (ढिंकुण के) ए जीवो कांश्क मक्षिकाने मलता होय , ते धोकाना तबेला प्रमु खने ठेकाणे उत्पन्न श्राय बे, तेने लोकमां बगा - कहे . (जमरा के) ए जीवो काला वर्णना होय जे, अने ते घणुं करीने ज्यां सुगंधी. पुष्पोनां वृदो ' होय जे त्यां रहे बे, ए जीवोने पुष्पोनो सुगंध घणो दप्रिय होय , ए जमर एवे नामे लोकमांप्रसिद्ध ले. (नमरिया के) उमरिका, ए जीवो पीतादिक घणा रंगवाला होय बे, तेमज विविध आकारवाला होय . (तिड्डा के ) ए जीवो वर्षास्तुना अवसानमा जे वखते धान्यनां वृक्ष पाकी रहेला होय
SR No.010850
Book TitleJiva Vichar Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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