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________________ UROGANSAANTARVARDHit Seega peredaran daar wo TWORRESPARRORDARSRPORANPADMRPAMORE अक्षरबत्तीसिका. B.......... ....rammarn... खक्खा कहें खवर सुनि जीवा । खवरदार है रहो सदीवा ॥ है खोटे फंद रचे अरिजाला ।छिन इक जिनभूलहु वहख्याला ३ गग्गा कहै ज्ञान अरु ध्याना । गहिके थिर हूजे भगवाना ॥ गुण अनंत प्रगटहिं ततकाला गरिके जाहिं मिथ्यातम जालामा घग्घा कहै स्वघर पहिचानों । घने दिवस भये फिरत अजानों। घर अपने आवो गुणवंता । घने कर्मको ज्यों है अंता॥५॥ नन्ना कहै नैनसों लखिये । नयनिहचै व्यवहार परखिये ॥ है निजके गुण निजमें गहि लीजे । निरविकल्प आतमरस पीजे ॥६॥ चच्चा कह चरचि गुण गहिये । चिन्मूरति शिवसम उर लहिये ॥ है चंचल मन थिर करधरि ध्याना । सीखसुगुरुसुन चेतन स्याना , छच्छा कहै छोडि जगजाला । छहों काय जीवनप्रतिपाला ।। छांड अज्ञान भावको संगा। छकि अपने गुण लखि सर्वंगा ॥ चौपाई १५ मात्रा. है जज्जा कह मिथ्यामति जीत । जैनधरमकी गहु परतीत ॥ , जिहिसों जीव लगै निजकाज । जगतउलंधि होय शिवराज है झन्झा कहै झूठ पर वीर! । झूटे चेतन साहस धीर ॥ झूठो है यह करम शरीर । झालि रहे मृगतृष्णानीर ॥१०॥ नन्ना कह निरंजन नैन । निश्चै शुद्ध विराजत ऐन ॥ निज तज परमें नहिं जाय । निरावरण वेदहु जिनराय॥११॥ टेव निज गहो । टिककें थिरअनुभव पदलहो ॥ टिकन न दीजे अरिक भाव । टुकटुकसुखको यही उपाव१२॥ चौपाई.१६मात्रा. . व्हा कहै आठ ठग पाये । ठगत ठगत अबकै कर आये ॥ में ठगको त्याग जलांजलि दीजे । ठाकुर हैतव सुखेलीजे॥१॥ १ जीजे ऐसा भी पाठ है. Vaiwapnance/RDAPPROPROMPARos r den alovevenSpecrahadevanawRDasanusbavratrw do procesadorea operator
SR No.010848
Book TitleBramhavilas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNathuram Premi
PublisherJain Granth Ratnakar Karyalay
Publication Year
Total Pages312
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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