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________________ [१९६] धर्मामृतः __ के अनुसार 'मझआर' शब्द देश्य है। आदि के 'म' का विवृततम उच्चारण करने से : मोझार' पद हुआ है। देश्य होने पर भी संस्कृत मध्य प्रा० ' मझ' से उसका साम्य अवश्य है। भजन ५९ वां १७१. रेन-रात्रि सं० रजनी-प्रा० रयनी-रेण । १७२. तुंसाढा-तेरा । . 'तुसाढा' पंजाबी भाषा का पद है। भजन ६१ वां १७३. ऊजड-शून्य जगह "सुण्णे उज्जडं"- (देशीनाममाला वर्ग १ गाथा ९६ ) के अनुसार 'उजड' शव्द देश्य है । उजड-ऊजड । उद्ध्वस्ता जना यस्मात् तद् उजनम् अर्थात् जिस स्थान से मानव नीकल गए हैं वह स्थान उजन । 'उज्जन' से प्रा० उज्जण । । प्रा० 'उज्जण' से 'उज्जड' शब्द आना शक्य है परंतु प्रचाराभाव होने से नहि लाया गया हो । १७४. पायाल-पाताल-निम्नतम स्थान | सं० पाताल प्रा. पायाल ।
SR No.010847
Book TitleBhajansangraha Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGoleccha Prakashan Mandir
Publication Year
Total Pages259
LanguageHindi Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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