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________________ १४७ २० वा वर्ष ३३३. अधिक व्याज नही लूँ। ३३४. हिसाबमे नही भुलाऊँ। ३३५ स्थूल हिंसासे आजीविका नही चलाऊँ। ३३६. द्रव्यका दुरुपयोग नही करूँ। ३३७. नास्तिकताका उपदेश नही हूँ। (उ०) ३३८. वयमे विवाह नहीं करूं । (गृ०) ३३९. वयके बाद विवाह नहीं करूँ। ३४०. वयके बाद स्त्रीका भोग नही करूँ। ३४१. वयमे स्त्रीका भोग नहीं करूं। ३४२. कुमार पत्नीको नहीं बुलाऊँ । ३४३ विवाहितपर अभाव नही लाऊँ। ३४४. वैरागी अभाव नही गिनूं । (गृ०, मु०) ३४५. कटु वचन नही कहूँ। ३४६ हाथ नही उठाऊँ। ३४७. अयोग्य स्पर्श नही करूं। ३४८ बारह दिन स्पर्श नही करूँ । ३४९ अयोग्य उलाहना नही दूं। ३५०. रजस्वलाका भोग नही करूँ। ३५१. ऋतुदानमे अभाव नही लाऊँ। . ३५२ शृङ्गार भक्तिका सेवन नही करूँ। ३५३. सबपर यह नियम, न्याय लागू करूं। ३५४ नियममे खोटी दलीलसे नही हूँ। ३५५. खोटी रीतिसे नही उकसाऊँ। ३५६. दिनमे भोग नही भोगें। ३५७. दिनमे स्पर्श नही करूं । ३५८ अवभाषासे नही बुलाऊ । ३५९ किसीका व्रतभग नही कराऊँ । ३६०. अधिक स्थानोमे नही भटकं ।। ३६१. स्वार्थके बहानेसे किसीका त्याग नही छुड़ाऊँ। ३६२. क्रियाशीलकी निंदा नही करूं। ३६३ नग्नचित्र नही देखू। ३६४. प्रतिमाकी निंदा नही करूँ। ३६५. प्रतिमाको नही देखू। ३६६. प्रतिमाकी पूजा करूं । (केवल गृहस्थ स्थितिमे) ३६७ पापसे धर्म नही मानें । (सर्व) ३६८ सत्य व्यवहारको नहीं छोडूं। (सर्व) ३६९. छल नही करूँ। ३७०. नग्न नही सोऊँ। - "साला
SR No.010840
Book TitleShrimad Rajchandra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Jain
PublisherShrimad Rajchandra Ashram
Publication Year1991
Total Pages1068
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Rajchandra
File Size49 MB
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