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________________ २१८ सस्कृत साहित्य का इविहास सौभाग्य-चिह्न हैं, जो इसके दूसरा सुगत प्रथका एक सबाट बनने के घोतक है। यह न्याय का अवतार दिखाई देता है । मोभख राष्ट्रनीनि कुशल, विद्वान् और चालाक है। इसकी तुलना यथार्थतया सचिव यौगन्धमायण के साथ की जा सकती है । नायिका मदनमजुझा की पूर्ण उपमा सृच्छकटिक की नाविका वसन्तसेना मे दी जा सकती है। (घ) रचना का रूप (गद्य अथवा पद्य - 'गुणान्य ने गद्य में लिखा या पञ्च में? इस प्रश्न का सोलहों श्राने सही उत्तर देना साभन नहीं है। बृहत्कथा के उपलक्ष्यमान तीनों ही संस्करण पद्यबद्ध हैं और उनले यही अनुमान होता है कि भूल ग्रन्थ मी पद्यात्मक ही होगा। काश्मीरी संस्करण में उपलब्ध इकथा के निर्माण हेतु की कहानी कहती है कि गुणाय ने वस्तुतः सात लाख पश्च लिखे थे, जिन में से नप सातवाहन केवल एक लाख को मष्ट होने से बचा सका था। इसके विरुद्ध दण्डी कहता है कि 'कथा' गद्यात्मक काव्य को कहते है। जैसे- बृहटकथा ' । दण्डो के मत पर यूँ ही झटपट हड्ताल नहीं फेरी जा सकती; कारण, दगडी पर्यास प्राचीन है और सम्मव है उसने किसी न किसी रूप में स्वयं बृहत्कथा को देखा हो । हेमचन्द ने बृहरकथा में से एक गद्य खण्ड उद्धृत किया है। इसले दराद्धी के मत का समर्थन होता है। यह दूसरी बात है कि पर्याप्त ऊर्वकालीन होने से हेमचन्द्र की बात पर अधिक विश्वास नहीं किया जा सकता । (ङ) पैशाची भाषा का जन्मदेश-यही सुना जाता है कि गुणाढ्य ने यह ग्रन्थ पैशाची भाषा में लिखा था। काश्मीरी संस्करण के अनुसार गुणाढ्य का जन्म स्थान गोदावरी के तट अवस्थित प्रतिष्ठान नगर और बृहत्कथा का उत्पादन-रधान विन्ध्यगिरि का गर्भ था। इससे १ अपादः पदसन्तानों गढ्यमाख्यायिका कथा, इति तस्य प्रभेदो द्वौ .. .. .........॥(काव्यादर्श १, २३) भूतभाषामयीं प्राहुरद्भुतार्था बहत्कथाम् ।। (काव्यादर्श १, ३८)
SR No.010839
Book TitleSanskrit Sahitya ka Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHansraj Agrawal, Lakshman Swarup
PublisherRajhans Prakashan
Publication Year1950
Total Pages350
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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