SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 221
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विविध आन्दोलन २११ प्रश्न.परं चर्चा करने के लिये ३१ प्रश्न भेजे । बे. मैंने जैन-जगत में छपा दिये और लिखा कि विधवा-विवाह के विषय में जैनजगतं' . की नीति. मध्यस्थ सरीखी रहेगी, वह. दोनों पक्षों के लेख छापेगा । ... पर इसके बाद भी गाड़ी अड़ी रही। किसी भी पक्ष का लेख नहीं आया। विरोधी लोग अच्छे ढंग से उन प्रश्नों का उत्तर देने को तैयार न थे और समर्थकों में भी शास्त्रीय दृष्टि से कोई लिखनेवाला न था। मुझे तो दोनों पक्षों के लेखों की जरूरत थी। जैन जगत की मध्यस्थता या अपनी मध्यस्थता बतलानी थी। ___ . . . इसके लिये मुझे ही सब स्वांग करने पड़े । विधवाविवाह के विरोध में एक छोटा लेख एक धर्मप्रेमी' के नाम से मैंने लिखा। इसके बाद बारी आई विधवाविवाह के समर्थन के लेख की। वह . मुझे लिखना था, पर लिख किस नाम से ? एकाध सजन ने कहा कि आप मेरे नाम का उपयोग कर सकते हैं. पर मैं यह जानता था कि एकाध लेख लिखने से काम न चलेंगी, यह तो वर्षों का रगड़ा है इसलिये कवं तक दूसरों के नाम से लिगा। .... . दूसरी बात यह कि इस आन्दोलन के चलाने में जो ___ वर्षों तक पंडिताई का प्रदर्शन होनेवाला था उसका श्रेय दूसरे को कैसे देता : इतनी उदारता तो शायद आज भी दिखाना पड़े तो आगा पीछा सोचना पड़ेगा फिर उस समय की तो बात ही क्या है। .. .. अन्त में मैंने 'सव्यसाची' नाम रखकर विधवाविवाह के " समर्थन में लेख. लिखना शुरू किया । इस नाम के रखने में मल. कारण पंडिताई का घमंड था । विजातीय विवाह के.आन्दोलन में
SR No.010832
Book TitleAatmkatha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSatya Samaj Sansthapak
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year1940
Total Pages305
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy