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________________ तेरसमो समवायो तेरहवां समवाय १.तेरस किरियाणा पण्णता तं जहा अट्ठादंडे अणट्ठादंडे हिंसादंडे प्रकम्हादंडे दिविपरित्रासियादंडे मुसावायवत्तिए अदिण्णादाणवत्तिए अज्झथिए मागवत्तिए मित्तदोसत्तिए मायावत्तिए लोभवत्तिए ईरियावहिए नामं तेरसमे। १. क्रियास्थान/हिंसा-साधन तेरह प्रज्ञप्त हैं। जैसे कि~~ अर्थ-दण्ड, अनर्थ-दण्ड, हिंसा-दण्ड, अकस्मात्-दण्ड, दृष्टि-विपर्यास-दण्ड, मृपावादवतिक, अदत्तादानवतिक, आध्यात्मिक, मानवतिक, मित्र-द्वेपवर्तिक, मायावतिक, लोभवतिक और ईपिथिक नामक तेरह । २. सोहम्मीसाणेसु कप्पेसु तेरस । विमाणपत्थडा पण्णत्ता। २. सौधर्म-ईशान कल्प में तेरह विमान प्रस्तर प्रज्ञप्त हैं। ३. सोहम्मवडेंसगे णं विमाणे णं अद्धतेरसजोयरसयसहस्साई पायामविक्खंभेरणं पण्णत्ते। ३. सौधर्मावतंसक विमान अर्व-त्रयोदश शत-सहन/साढ़े बारह लाख योजन आयाम-विष्कम्भक / विस्तृत प्रज्ञप्त ४. एवं ईसागवडेंसगे वि। ४. इसी प्रकार ईशानावतंसक भी है । ५. जलयर-पाँचदिन-तिरिक्खजोणिप्राणं अद्धतेरस जाइकुलकोडीजोणीपमुह-सयसहस्सा पण्णत्ता। ५. जलचर पंचेन्द्रिय तिर्यंचयोनिक जीवों की योनि की दृष्टि से अर्द्ध-त्रयोदश शतसहस्र/साढ़े बारह लाख जाति और कुल की कोटियां प्राप्त हैं। - ६. पाणाउस्स गं पुवस्स तेरस बत्यू ‘पण्णत्ता। ६. प्राणायु-पूर्व के तेरह वस्तु/अधिकार प्रज्ञप्त हैं। समवाय-सुतं समवाय-१३
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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