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________________ नब्बेवां समवाय गउइइमो समवाओ १. सीयले गं अरहा नउई धणूई उड्ढं उच्चत्तेणं होत्या। २. अजियस्स णं अरहो नउई घणूई गणा नउइं गरगहरा होत्था। ३. सतिस्स गं अरहो नउई गणा नउई गणहरा होत्या। ४. सयंभुस्स णं वासुदेवस्स णउइवासाई विजए होत्या। ५. सव्येसि णं वट्टवेयड्ढपन्वयाणं उवरिल्लामो सिहरतलानो सोगंधियकंडस्स हेद्विल्ले चरिमंते, एस णं नउई जोयणसयाई प्रबाहाए अंतरे पण्णते। १. अर्हत शीतल ऊंचाई की दृष्टि से __नब्बे धनुष ऊंचे थे। २. अहंत अजित के नब्बे गण और नब्बे गणधर थे। ३. अर्हत् शान्ति के नब्वे गण और नब्बे ___ गणधर थे । ४. वासुदेव स्वयम्भू नब्बे वर्षों तक विजयशील रहे । ५. समस्त वृत्तवताढ्य पर्वतों के उपरितन शिखरतल से सौगंधिक काण्ड के अधस्तन चरमान्त का प्रवाधत: अन्तर नौ हजार योजन का प्रज्ञप्त समवाय-सुतं समवाय सुत्तं १६३ १६३ समवाय-१० समवाय-६०
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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