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________________ एक्काणउइइमोसमवायो इक्यानबेवां समवाय १. पर-वैयावृत्यकर्म की प्रतिमाएँ इक्यानवे प्रज्ञप्त हैं। २. कालोद समुद्र का परिक्षेप इक्यानवे शत-सहत्र/लाख योजन से कुछ अधिक प्रज्ञप्त है। १. एक्काणउई परवेयावच्चकम्म पडिमानो पण्णत्तानो। २. कालीए णं समुद्दे एक्काणउई जोयणसयसहस्साइं साहियाई परिक्खेवेणं पण्णत्ते। ३. कुंथुस्स णं अरहो एक्काणउई अहोयिसया होत्था। ५. पाउय-गोय-वज्जाणं छण्हं कम्म. पगडोणं एक्काणउई उत्तरपगडीओ पण्णताओ। ३. अहंद कुन्थु के इक्यानवे सौ प्राधो वधिक ज्ञानी थे। ४.आयुप्य और गोत्रकर्म को छोड़कर शेप छह कर्म-प्रकृतियों की उत्तरप्रकृतियां इक्यानबे प्रज्ञप्त हैं । म सुतं भव सुतं १४ १६४ समवाय-९१ समवाय-११
SR No.010827
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year1990
Total Pages322
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, & Canon
File Size10 MB
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