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________________ ( ७८ ) दोहा । तनय कुञ्जमन के भए, मूलचन्द्र परवीन । पूरण भैया, प्रेम भए, इनके ये सुत तीन ॥ ७॥ सो सब निज परिवार युत, गाडरवारा ग्राम । जाय बसे वाणिज्य हित, छोड़ जन्म भू ठाम ॥८॥ द्वितिय तनय.दरयाव के, जे गुणि नाथूराम: । सुत दश भए तिनके तदपि, बचे पंच गुण धाम॥६॥ . . ... चौपाई। दीपचन्द्र पहिले गुणवान । दूजे ताराचंद्र महान ॥ तीजे वीर जु कालूराम । छोटेलाल चतुर गुण धाम ॥१०॥ पंचम सुत भूपेन्द्र कुमार |सुखी सवहि सह निजपरिवार॥ दैव गति ऐसी कछु भई । ताराचंद देव गति लई ॥११॥ दीपचंद्र त्यागो गृहवास । वर्णी पद धारो सुखरास ॥ धर्म प्रभावन हेतु भ्रमंत । जैन धर्म उपदेश करत ॥१२॥ जैन धर्म में दृढ़ परतीत । जगसे रहें सदा भयभीत ॥ पाले चारित शक्ति प्रमाण । गुणी जनों को राखे मान ।। दोहा । . . .: सुत राजेन्द्र नरेन्द्र युत, भाई कालूराम । ... ...अरु भूपेन्द्र कुमार भी, हाल रहें रतलाम ॥१४॥ ..
SR No.010823
Book TitleSubodhi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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