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________________ प्रशस्ति । क दोहा। ऋपम आदि महंबीर लग, चौचीसों जिन राय । सांप्रत काल विष भये, बन्दू मन बच काय ।। १ ।। अर्हत्सिद्ध सुसरि नमि, नमि पाठक मुनिराय । स्याद्वाद वाणी नमू, दया धर्म मन लाय ॥ २ ॥ अतीत अनागत काल के, चन्दू सब जिन राय । अब प्रशस्ति वर्णन करूं, कैसे ग्रन्थ रचाय ॥ ३ ॥ पद्धड़ी छन्द । इक मध्यप्रांत के मध्य जान । नरसिंहपुर नगर कहो वखान वहँ जिन मंदिर हैं शिखर बंद । दर्शन कर भवि पावेंअनंद॥ अरु जैन दिगम्बर धर्म धार । परबारजु श्रावक अति उदार ॥ तिनमें सुगरए दरयावलाल । नियसें जिन धर्मी दयापाल।। तिन पुत्र कुजमन चतुरसाराबरु नाथुराम गुणगण भंडार।। दोऊ पन्धुन में प्रति प्रेमा व निज वृप व्रत आदि नेम||
SR No.010823
Book TitleSubodhi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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