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________________ ( ७६ ) सुत देवेन्द्र हरिजय सहित, भाई छोटेलाल । रहें अहमदाबाद जिन, बोर्डिङ्ग के गृहपाल ||१५|| जैन मित्र मंडल सभा, इन्द्रप्रस्थ मंकार | वीर जयंति महोत्सव, करें प्रभावक सार ॥ १६ ॥ दीपचंद्र वर्णी वहां गए निमंत्रण पाय | मंत्रि सिंह उमरावजी, तिनसे कही बनाय ॥ १७ ॥ " चौपाई | 4 जैन धर्म धारी नरनार । मानें मिथ्यामत दुखकार ॥ तिनको सन्मारग दरशायं । ऐसों ट्रेक्ट लिखो सुखदाय ।। दोहा । तिनकी लख यह प्रेरणा, भव जीवन हित जान । यह सुबोधि दर्पण लिखो, मिथ्या तम हन भान ॥ १६ ॥ लाकरोड़ा शुभ ग्राम इक, गुर्जर प्रांत संकार । तहाँ ग्रन्थ पूरण कियो, 'दीप' स्वपर हित धार ॥२०॥ ज्येष्ठ शुक्ल श्रुत पंचमी, अन्द पीर सुखकार । निज उपयोग सम्हार || ૬ २ २४० तीर्थकर भज काय रख,
SR No.010823
Book TitleSubodhi Darpan
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages84
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size3 MB
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