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________________ ( ७२ ) ११ वैक्रिय कार्मण : १२ आहारक कार्मण ' - १३ औंदारिक तेजस कार्मण: १४ वैक्रिय तेजस कॉमण -१५ आहारक तेजस कार्मण.. संघयण मट्ठि निचो. तं बद्धा वज्भरिसह नाराय । तहय रिसह नाराय, नारायं श्रद्ध - नारायं ॥ ३८ ॥ संघयण नाम कर्म के ६ भेद | 1 4 41 जिस कर्म के उदय से हड्डियों का मिलाप होता हैं उस को संघयण नाम कर्म कहते हैं इसके ६ भेद हैं । १ - वज्र ऋषभ नाराच संघयण जिस कर्म के उदय से २ हड़िये मर्कट बंध की भांति संयुक्त हुई हों और १ हड्डी ऊपर पटी की भांति लगी हो और इन तीनों में १ हड्डी कीली की भांति लगी हुई हो ऐसा दोनों तरफ होता है उसको वज्र ऋषभ नाराच. संघयण नाम कर्म कहते हैं.. २. ऋषभ नाराचं संघयण - इसही तरह दोनों हड्डी मर्केट, बंध की भांति युक्त हुई हो और १ हड्डी ऊपर पटी की तरह लगी हो किन्तु हड्डी की कोई कीली न लगी हो जिस कर्म
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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