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________________ (७१) . और तेजस और कार्मण के साथ दोनों को साथ युक्त करने से तीन २: अर्थात् छः प्रकार के बंधन और होते हैं इस प्रकार १५ प्रकार के बंधन होते हैं. नीचे. १५, प्रकार के बंधन को पृथक् २ नाम बतलाते हैं:-. .. १ औदारिक औदारिक , २ वैक्रिय वैक्रिय . '३ आहारक आहारक' ४ औदारिक तेजस ५ वैक्रिय तेजस ६ आहारक तेजस ७ औदारिक कार्मण ८ वैक्रिय कार्मण ६ आहारक कार्मणं · · · १० औदारिक तेजस कार्मण .. ११ वैक्रिया तेजसं कार्मण : १२ आहारक. तेऊसकार्मण १३ तेजस तेजस : .......१४ कार्मण कार्मण .. १५ तेजस.कामण. . . . ... :: . . ... ...:. .. कितने ही ग्रन्थों में निम्नलिखित अनुसार भी १५ प्रकार के बंधन पतलाये हैं:-... ::::: :: १ औदारिक औदारिक, २ वैक्रिय वैक्रिय ३ श्राहारक आहारक : ४ तेजस तेजस .:.:कार्मण कार्मण .. .६ औदारिक तेजसः . ७: वैक्रिय तेजस:::::.८ आहारक तेजस:: ::." कार्मण तेजस १० औदारिक कार्मण
SR No.010822
Book TitleKarm Vipak Pratham Karmgranth
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages131
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size4 MB
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