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________________ सत्यामृत श्यक हत्यायें भी हो जाया करेंगी, क्योंकि संभव प्रश्न- ऐसे अवसर पर अगर स्त्री, पत्र दास है कि वह विपत्ति इतनी बड़ी न हो जितनी कि आदि कोई व्यक्ति स्वेच्छासे आत्मसमर्पण करे तत्र उनने उतावली से समझली । (घ) इमसे जो तो उपर्युक्त दोष निकल जायेंगे ! मानसिक अधःपतन होगा, विश्वासघात आदि उत्तर- परन्तु ऐसी अवस्था में वे स्त्री, पुत्र, की वृद्धि होगी और समाज की मनोवृत्ति में जो या दाम इतने महान् उच्च और पूज्य हो जायेंगे बुरा परिवर्तन हो", : बहुत अधिक होगा। कि कोई भी व्यक्ति, जो उन के बलिदान पर प्रश्न...र के उदाहरण में हम दो मित्रों जीवित न कहना है, उनमें अधिक योग्य न को न लेकर दम्पति को तं. अमरक्षा के रह सकेगा। ऐसी : उनका बलि लेना लिय पुरुष के दूर बी का वध होना उचित दस लकड़ी की रआके लिये चन्दन जन्टाने है या नहीं ? पुरुष की अपेक्षा स्त्री के समान होगा। की योग्यता कम होती है। प्रश्न -- एक मनुष्य एसा है, जिस पर उन 20 में .छ भी अन्तर सेकड़े का जीवन या उन की उन्नति अवलम्बित नई है, बल्कि उसकी है। यह अगर अपनी पक्षाके लिये किसी साधारण मर र होने से परुष की मनुष्यका अनिकाय परिस्थिति में वध करे तो उस जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। इसलिये मित्र की का यह कार्य निदोष कहा जा सकता है नहीं ? अपेक्षा पति का " और अधिक हानि- उत्तर-इक ये चार बातों का विच र प्रद है । प र कार जो मैंने क, ख, करना चाहिये । (अ) मैं हजारों का अवलम्बन , गं, ध, नम्बर देकर आपत्तियों बतलाई हैं वे यहां इसका निर्णय यह स्वयं न को किन्तु वह को, भी ज्यों की त्यो लागू है। योग्यता की दृष्टि से जिसे अपने जीवन का बलिदान करना है । भी इसका न होता, क्योंकि यहां पशु- (आ) बलिदान सेवक होना चाहिये । (इ) 24 से निर्णय नहीं करना है, इस नौकर का भाव नहीं परन्तु समाजपाप करना । सुखानुभव रक्षाका भाव होना चाहिये । (ई) 'मेरा यह कार्य करने की जो शक्ति पुरुष में है स्त्री में उमसे आरक्षा के लिये है या नमः लिये इस कम नहीं है। समाज के लिये पुरुष जितना प्रकार के संदेह का विषय बनने से तथा दूसरे आवश्यक है खी उमस कम आवश्यक नहीं है। की बलि के ऊपर अपनी जीवन रक्षा होने से परिस्थिति के अन्तर सन २ कार्यक्षेत्र जुदा उमेरक पश्चात्ताप होना चाहिये। है, या ना ये शत बहुत कड़ी शत है, सूक्ष्म होने से . .. ये खी-पुरुष भी इनका पालन बहुत कठिन है। साथ ही ये नत्र :, "दन अपान, अंकगरीब आदि अपवाद के निर्णय के लिये हैं इसलिये अपने म. ... ... ... । अन्यथा तन तथा धनीति पर आघात होने की क., , ग, घ थाले उपयुक्त दीप बहत्त भयकर बहुत सम्भावना है । इसलिये बहुत सतर्कता के आप धारण कर लेंगे। साथ इस अपवादका पालन होना चाहिये ।
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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