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________________ भगवती की साधना [ २३२ के लिये किसीन साधु वय लिया या और किसी के अहंकार को चरितार्थ करने के लिये खुराक तरह से साधुता का प्रदर्शन किया है तो अवश्य देना पर उन की वास्तविक मेवा न करना भयंकर ही वह भक्षक है इसलिये हिंसक है। छल है इसलिये यह भक्षण है, हिंमा है। प्रश्न- साधुता का चिन्ह यही है कि उस प्रश्न- वृद्धावस्था या शैदान वस्था या रोग के जीवन में विनिमय का विचार न हो। वह देते आदि के कारण कोई बदला नहीं दे सकता तो समय अधिक से अधिक दे और लेते समय कम क्या वह हिंसक है? से कम ले । अगर वह एसा करता है तो जनता उत्तर- बद्ध या शिशु या रोगी छल या बल को भक्षण का पाप लगता है अगर वह ऐसा नहीं का उपयोग नहीं करता इसलिये वह हिंसक नहीं करता तो उसे भक्षण का पाप लगता है ऐमी है। हाँ कोई मुफ्त में खाने के लिये रोगी या हालत में साधुता अनर्थकर कहलाई। अधिक सेगी या अदार बनने कागकरे, कढाचित् उत्तर-- अगर साधु अपनी सेवा के मूल्य इसलिये वह बन भी जाय तो अवश्य बह छली से अधिक यश आदर या ऐश आराम लेता है है, हिंसक है। तो वह भक्षक है, हिंसक है, क्योंकि उसका वह लेना छल से है साधु वेषकी ओट में वह जनता प्रश्न - वृद्धावस्था में बहुत से लोग काम तो कर सकते हैं परन्तु इसलिये नहीं करते कि उन को धोखा देता है उसके भोले पन का दुरुपयोग के काम करने से जवानों को काम नहीं मिटता करता है, परन्तु अगर वह जनता को अधिक बेकारी बढ़ती है इसलिये वे वृद्ध बिना सेवा के ही देता है तो वह दानी है साधु है, परन्तु जनता खाते है तो क्या उन्हें मक्षक और हिंसक भक्षक नहीं है क्यों कि जनता साधु से लेने के २.हा जाय? लिये छल या बल का उपयोग नहीं करती। छल और बल ये हिंसा पापिनी के दो शस्त्र हैं जहाँ उचर बेकरी न बढ़ पावे इसलिये अगर ये दोनों नहीं हैं वहाँ हिंसा पापिनी निकम्मी उनन काम छाड़ा ह ता उन्म उनने काम छोड़ा है तो उन्हें कि के हो जाती है। काम न करना चाहिये पर जनसेवा के और भी ऐसे काम है जिनके करने से बेकारी न बढेगी प्रश्न-- कोई साधु वेषी समाज को उचित उन कामा का करने में आपत्ति न होना चाहिये। बदला नहीं देता किन्तु लेता बहुत अधिक है फिर भी उसे भक्षक कैसे कह सकते हैं क्यों कि प्रश्न-कोई आदमी इसलिये काम नहीं वह किसी के साथ जबर्दस्ती नहीं करता लोग करना चाहता कि उसने जीवन में इतना अधिक खुशी से उसे देते हैं तो वह क्या करे ! काम किया है कि अब उसे विश्राम की जरूरत उत्तर-- इससे सिर्फ इतना ही सिद्ध होता या इच्छा है तो क्या उस भक्षक कहेंगे? है कि वह बल का प्रयोग नहीं करता, पर छल उत्तर-नहीं. यह तो विनिमय का सवाल का भी प्रयोग नहीं करता यह नहीं कहा जा है अगर वह इतनी सेवा कर चुका है कि उसके सकता। लोगों की अन्धश्रद्धा का उपयोग करना बदले में वह विश्राम ले सकता है तो विश्राम और अन्धश्रद्धा को सन्तुष्ट रखने के लिये या उन उसकी पहिली मेवा का ही बदला हुआ उसमें
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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