SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 178
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भगवती के उपांग आचार कांड ( पांचवाँ अध्याय ) [विशेष साधना--तप ] भगवती अहिंसा का स्वरूप, उसकी साधना उसके अंग और उपांगों का वर्णन कर देने पर आचार के विषय में काफी ज्ञान हो जाता है । फिर भी एक बात ऐसी है जिसकी ज़रूरत हर तरह की उन्नति में पड़ती है, वह है तप । स्वपरकल्याण के लिये जो विशेष साधना की जाती है वह तप है। तप के द्वारा पार का असर दूर किया जाता है और पुण्य पैदा किया जाता है । तप भगवती की विशेष साधना है । .. यों तो दूसरों का अकल्याण करने के लिये या दूसरों के अकल्याण की पर्वाह न करके अपना स्वार्थ सिद्ध करने के लिये भी तप किया जाता है और वह अमुक अंश में सफल भी होता है परन्तु यह कुतप है क्योंकि इसमें भगवती अहिंसा का आशीर्वाद नहीं है । एक चोर को चोरी करने में कितना तप करना पड़ता है । वह जगता है सँम्भल सँम्भल कर पैर उठता है सतर्कता और श्रम दोनों से काम लेता है । तपस्वी की बहुत सी बातें चोर पाई जाती हैं फिर भी वह तपस्वी नहीं है क्योंकि उसके कार्य में भगवती अहिंसा का आशीर्वाद नहीं है, वह विश्व कल्याण के अनुरूप नहीं है । [ ३८४ जो विशेष साधना विश्वकल्याण के अनुकूल न हो वह बाहर से तप सरीखी भले ही मालूम हो पर वह कुतप है 1 तप पांच तरह के हैं १ - ज्ञानचर्या २ --प्रायवित्त ३ - विनय ४ -- परिचर्या ५-- परिषह । धर्म के दो अंग हैं, दृष्टि और आचार | सरल शब्दों में कहा जाय तो समझना और पालन करना । इन दोनों अंगों में तप की आवश्यकता है । इन पांच प्रकार के तपों की दोनों अंगों में उपयोगिता है । 1 तप के विषय में उपयोगिता या सार्थकता का अवश्य ख़याल रखना चाहिये । परिषह के नाम पर व्यर्थ ही अपने गाल पर तमाचा मारने लगना और सोचना कि हम बड़े तपस्वी हैं मूर्खता है । यह हो सकता है कि किसी कारण वश किसी का तप सफल न हो पावे या उसकी सफमार्ग में 'लता वह न देख सके पर सफलता तप अवश्य होना चाहिये । कुछ अन्य कारणों से सफलता न हो तो बात दूसरी है । जैसे म. ईसा के तप का फल उनके जीवन में दिखाई
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy