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________________ सत्यामृत मालूम हुआ कि बह काम खराब है या इतना चाहिये । मानलो किसी जलसे की रिपोर्ट हमें उपयोगी नहीं है इसलिये हमने वचन का पालन कहीं भेजना है उसमें मैं अपने को अधिक नहीं किया तो इस में ऐसा क्या अनुचित हुआ महत्त्व दे दूं, अधिक तारीफ़ कर दें, अधिक जगह कि विनिमयचोरी मानी जाय ! घेरलू और दूसरों को गौण कर दूँ, भुला दूं तो उत्तर-चोरी तो इसलिये है कि मूल्य दिया यह विभागचोरी होगी । जल्सा में किस आदमी नहीं और यश लेलिया । हाँ, वह काम खराब हो का क्या स्थान है उस की सेवा कितनी है आदि और उसकी खराबी छिपाकर हम से वचन बातों का विचार करके रिपोर्ट तैयार करना लेलिया गया हो और उस वचन को पूरा करने चाहिये अन्यथा विभागचोरी हो जायगी। से दुनिया की बुराई होने की संभावना हो तो इसी प्रकार आदर, सन्माम आदि में भी बचत का पालन न करना ही उचित है । पर विभागचोरी होती है, जैसे फोटो खिंचवाने के यह याद रखना चाहिये कि अपनी कायरता लिये कुछ आदमी बैठे और वहाँ क्रम का भी अनुदारता या स्वार्थ-परता छिपाने के लिये दूसरों विचार किया गया पर चपलता आदि से मर्यादा को खराब कहा जायगा तो यह विनिमयचोरी से ऊँचा स्थान अपने लिये लेलेना, मर्यादा का ही न रहेगी घातकचोरी (डकैती) भी हो भंग करके अपने गले में अपने मित्रों से फूल जायगी। अगर खराबी है पर बह हम से छिपाई माला आदि डलवा लेना आदि नाम की नहीं गई थी तो जहाँ तक बन सके वचन पूरा विभागचोरी है करना चाहिये । अगर खराबी न हो तब तो किसी प्रदर्शन को सजाने का अपने हाथ अधिक से अधिक कष्ट सहकर भी वचन पूरा में अधिकार हो और अपनी भी चीज़ प्रदर्शन में करना चाहिये । अगर सब कुछ करके भी बचन हो तो सजाने, रखने आदि में पक्षपात करना पूरा न किया जासके तो जिस रूप से यश लटा आदि भी विभागचोरी है। था उसी रूप से बहू क्षमायाचनापूर्वक बापिस प्रश्न- अपने घर में अपनी चीज़ को महत्त्व करना चाहिये । अर्थात् उसी रूप से यह घोषणा देना ही पड़ता है मानलो किसी संस्था में प्रदर्शन करना चाहिये कि दुर्भाग्य से मैं वचन पूरा नहीं भरा गया है तो यह बात ठीक है कि उस संस्था कर पा रहा हूँ। ऐसी हालत में विनिमयचोरी के विज्ञापन के लिये वहाँ की चीजों को अधिक नहोगी। महत्त्व दिया जाय, किसी विद्यापीट में उत्सव हो (ख-मिचोर- यश, मानप्रतिष्ठा आदि तो कुलगुरु का सन्मान रहेगा ही, भले ही वह का जहाँ विभाजन करना हो वहाँ अपने लिये उत्सब कुलगुरु की देखरेख में हो। या जिनमे अपने को मोह हो उन के लिये मर्यादा उत्तर-- ऐसा करने में कोई हानि नहीं है से अधिक हिस्सा ले टेना विभागचोरी है। धन बल्कि उचित भी है पर इस की ओट में जो की अपेक्षा या आदि के विभाजन में न्यूनाधिका दूसरों का अपमान और पक्षपातवश अपना रहती ही है इसलिये उस में समता का नहीं अधिक सन्मान करलिया जाता है वह बुरा है। उचित अनुचित का ही विचार किया जाना छन्न चोरी में कोई ओट तो मिल जाती है पर
SR No.010818
Book TitleSatyamrut Achar Kand
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDarbarilal Satyabhakta
PublisherSatyashram Vardha
Publication Year
Total Pages234
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size82 MB
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