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________________ मूसाका पूर्वचरित्र .६७ फिरसे सो जानेपर उसने दूसरा सपना देखा कि एक अनाजके पौधेमें एक साथ सात मोटी बालियाँ आई और उनके पीछे-पीछे सात छोटी बालियोंने आकर उन मोटी बालियोंको खा डाला । दूसरे दिन राजाने अपने ज्योतिषियोंसे इन सपनोंका अर्थ पूछा पर वे न बता सके। तब उसके नौकरोंके सरदारको यूसुफ़का स्मरण हो आया और उसने राजाको सारा हाल कह सुनाया । राजाने तुरन्त यूसुफको बुलवा लिया और इन सपनोंका अर्थ पूछा । तब यूसुफ़ बोला, इन सपनोंका अर्थ यही है कि सात बरस तक समृद्धि रहेगी और उसके बाद सात बरस तक अकाल पड़ेगा जो सुकालको खा जायगा । अतः अभीसे सावधान रहना चाहिए । (( "" राजाने समृद्धिके समय में अनाज जमा करने और फिर अकालके दिनोंमें उसे बेचने के लिए यूसुफको ही अधिकारी नियुक्त किया । उसका पिता और भाई कनआन में रहते थे । वहाँ भी भयंकर अकाल पड़ने से याकूबने अनाज लानेके लिए अपने लड़कोंको मिस्र भेजा । यूसुफ ने उन्हें अपना परिचय दिये बिना बहुत-सा अनाज दिया और अनाजके पैसे भी उन्हींकी थैलियों में रख दिए । जब वे फिरसे अनाज खरीदने आए तो यूसुफ़ने उन्हें अपना परिचय दिया और अपने रिश्तेदारोंको मिस्र बुलवा लिया। फैरोने उन लोगोंको अच्छी ज़मीन इनाम दे दी और तबसे मित्रमें यहूदियोंकी संख्या लगातार बढ़ती गई । डेढ़ सौ बरस बाद अर्थात् ईसापूर्व १६ वीं सदी में दूसरा एक फैरो गद्दीपर बैठा। यहूदियोंकी अभिवृद्धि उसे पसन्द नहीं आई और उसने उन्हें गुलाम बनाकर भारी काममें लगी दिया । फिर भी उनकी संख्या बढ़ती ही जा रही थी । तब उसने यहूदी दाइयोंको ऐसा हुक्म दे दिया कि
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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