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________________ ६६ पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म इन दस आज्ञाओं में पहली तीन परमेश्वरके सम्बन्धमें हैं। चौथी हर सातवें दिन छुट्टी मनानेके विषयमें और पाँचवीं माँ-बाप का आदर करनेके सम्बन्ध है । शेष पाँच आज्ञाओंमें कुछ अंशमें चार याम या पंच महात्रत आ जाते हैं। छठी आज्ञामें अहिंसा, सातवीं में गृहस्थ ब्रह्मचर्य, 'आठवीं में अस्तेय, नौवीं में सत्य और दसवीं में अंशत: अपरिग्रह आता है । परंतु तौरेत ( तौरत ) या प्राचीन बाइबिल में इन आज्ञाओंका कुछ और ही अर्थ समझा जाता था । निम्नलिखित विवेचन से वह स्पष्ट हो जायगा । मूसाका पूर्वचरित्र याकूब ( जेकब ) का छोटा बेटा यूसुफ़ ( जोज़फ़ ) जब सत्रह बरसका था तब उसके सौतेले भाइयोंने उसे जंगलमें ले जाकर बाँध रखा और मिस्र ( इजिप्त ) जानेवाले इस्माइली व्यापारियोंके हाथ बेच डाला। उन व्यापारियों ने उसे मिस्र ( इजिप्त ) के राजा फैरो- (फिरऊन, के एक अधिकारी हाथ बेच दिया । उस अफ़सरके मनमें उसके प्रति प्रेम पैदा हुआ; मगर उसकी पत्नीने यूसुफपर झूठा इलज़ाम लगाय जिससे उसे कैदखाने में डाला गया । उसी जेलमें फैरो ( Pharaoh ' के नौकरोंका सरदार भी था । उसने एक सपना देखा । यूसुफ़ने उस् सपनेका अर्थ यह लगाया कि फैरो उस सरदारपर फिरसे खुश होगा यह भविष्यवाणी सही साबित हुई और वह सरदार पुनः राजभवन में काम करने लगा । दो वर्ष बाद राजाने एक स्वप्न देखा कि वह नदी के किनारे खड़ था, तब नदीमेंसे सात मोटी-ताजी गाएँ निकलीं और चरागाह में चरने लगीं; इतनेमें उनके पीछे-पीछे सात दुबली गाएँ निकलीं और उन्होंने उन मोटी गायों को खा डाला । यह सपना देखकर राजा जाग गया
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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