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________________ ६८ पार्श्वनाथका चातुर्याम धर्म यदि किसी यहूदी स्त्रीके लड़का हो जाय तो उस बच्चो तुरन्त मार डाला जाय। यहूदी जातिकी लेवी गोत्रकी एक स्त्रीके लड़का हुआ । उसे अधिक दिन छिपा रखना सम्भव नहीं था; अतः उसने एक पिटारेपर चिकनी मिट्टी और राल लगाकर उस तीन मासके बच्चेको पिटारेमें बन्द कर दिया और पिटारा नदीके किनारे घासमें रख दिया । उस स्त्रीकी बेटी अपने भाईका हाल दूरसे देख रही थी । इतनेमें वहाँपर स्नानके लिए राजकन्या आई । उसने वह पिटारा देखा और उसे अपने नौकरोंसे खुलवाया । जब वह छोटा बच्चा रोने लगा तो उंसे दया आई और वह बोली, “ सम्भवतः यह कोई यहूदी बच्चा है ।" उसकी बहनने राजकन्या से पूछा, 66 क्या मैं इसके लिए एक दाई लाऊँ ? 17 राजकन्याने उस लड़कीको दाया लानेके लिए भेजा । तब वह लड़की अपनी माँको ही लेकर वहाँ जा पहुँची। राजकन्याने बालकको उसके हवाले कर दिया और कहा, “ इसके लिए सारा खर्च मैं देती रहूँगी । "" इस प्रकार वह लड़का अपनी माँके पास ही रहा । जब वह बड़ा हुआ तो उसकी माँने उसे राजकन्याको सौंप दिया । उसे पानीमेंसे बाहर निकाला गया था; इसलिए उसका नाम मूसा -मोजेस (उद्धृत) रखा गया और वह राजकन्याका बेटा बन गया । अपनी माताके पास रहनेसे मूसाको यह मालूम हो गया था कि वह कौन है | बड़ा होने पर वह अपने जातवालोंके पास जाकर उनकी दुर्दशा देखता था। एक बार एक मिस्त्री आदमी एक यहूदीको पीट रहा था। यह देखकर मूसाको गुस्सा आया और उसने मिस्री आदमीको एकान्त स्थानमें ले जाकर मार डाला एवं रेतमें छिपा रखा। दूसरे दिन उसने देखा कि दो यहूदी आपस में झगड़ रहे हैं । उनमेंसे एकके पास
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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