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________________ बाइबिलकी दस परमेश्वरी आज्ञाएँ ६५ जाग्रत करनेवाला सत्पुरुष कैसे उत्पन्न होता ? श्रमण और ब्राह्मण सभी राजाओंकी लूटमें शामिल थे और शेष जनता अज्ञानमें डूबी हुई थी; फिर लोकोद्धार कौन करता ? सारा समाज बिना गड़रिएके भेड़ोंके रेवड़की तरह बिखर गया और मुसलमानोंके आक्रमणोंका शिकार हुआ। बाइबिलकी दस परमेश्वरी आज्ञाएँ अब श्रमण-ब्राह्मणोंको छोड़कर यह देखें कि बाइबिलमें चातुर्यामके. सम्बन्धमें क्या जानकारी मिलती है। हमारे वर्तमान* शासकोंका यह पवित्र ग्रंथ है और उसका पश्चिमी संस्कृतिपर ही नहीं बल्कि इसलामपर भी बहुत असर पड़ा है। इस ग्रंथमें परमेश्वर मूसा ( मोज़ेस ) को दी गई १० आज्ञाओंका वहुत महत्त्व माना जाता है। तूर ( सिनाई ) पर्वतके शिखरपर परमेश्वर ( यहोबा ) मूसासे कहता है: (१) मुझे छोड़ तुम अन्य देवताओंकी पूजा मत करो। (२) किसी प्रकारकी मूर्ति अथवा प्रतिमा मत बनाओ और उनकी पूजा मत करो। ( ३ ) अपने परमेश्वरका नाम व्यर्थ मत लिया करो। ( ४ ) विश्राम करनेके दिनको पवित्र रखो। (५) माता-पिताका मान करो। (६) हत्या मत करो। (७) व्यभिचार न करो। (८) चोरी न करो। (९) झूठी गवाही मत दो। (१०) पराई चीज़का लोभ मत रखो ( Exodus निर्गमन ३-१७ ) * यह पुस्तक सन् १९४६ में लिखी गई थी।
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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