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________________ दिगम्बरोंका मतभेद दिगम्बरोंका मतभेद त्रिषष्ठि-शलाका-पुरुषचरित श्वेताम्बर संप्रदायका ग्रन्थ है। उसमेंसे कई बातें दिगम्बरोंको स्वीकार नहीं हैं। उनमेंसे पार्श्वनाथके चरित्रसे सम्बन्ध रखनेवाली बातें ये हैं:-वे पार्श्वनाथका जन्म पौषकृष्ण एकादशीको विशाखा नक्षत्रमें (ति० प० ४।१५४८) और निर्वाण श्रावण शुक्ल सप्तमीको विशाखा नक्षत्रमें (ति० प० ४।१२०७) हुआ मानते हैं। उनके मनमें पार्श्वनाथ कुमार-ब्रह्मचारी थे और वे केवली ( जीवन्मुक्त ) होनेके बाद कवलाहार ( अन्नाहार ) नहीं करते थे; क्योंकि केवलियोंको अन्नकी आवश्यकता ही नहीं रहती। अतः उन्हें यह बात पसंद नहीं कि पार्श्वनाथने निर्वाणके समय अनशन किया था। इस वाद-विवादमें जैनेतर लोगोंको कोई दिलचस्पी नहीं होगी । परंतु यह तात्पर्य तो सभी लोग ग्रहण कर सकते हैं कि सम्प्रदाय बन जानेपर मामूली बातोंमें भी कैसे मतभेद पैदा हो जाते हैं। पार्श्वनाथकी कथामें इतिहासका अभाव ऊपर ऊपरसे पढ़नेवाला व्यक्ति भी यह असानीसे समझ सकता है कि पार्श्वनाथकी उल्लिखित सारी कथा काल्पनिक है । यह बात असम्भव है कि पार्श्वनाथके समयमें कलिंग देशमें यवन नामका राजा राज करता हो । अन्य बातें भी ऐसी ही हैं। यह संभव है कि उनका जन्म वाराणसीमें हुआ हो, परंतु इसके लिए कोई आधार नहीं कि उनका पिता वहाँका राजा था । वज्जियों या मल्लोंके राज्योंकी तरह काशीका राज्य भी गणसत्तात्मक था। परंतु बुद्धसमकालमें उसकी स्वतंत्रताका नाश होकर उसका समावेश कोसल देशमें हो गया था । यह नहीं कहा जा सकता कि पार्श्वनाथका जन्म काशीके स्वातंत्र्य-कालमें हुआ था या
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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