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________________ सेंट पालका प्रचार सेंट पॉलका प्रचार ईसाकी मृत्युके बाद उसके अनुयायियोंको यंत्रणाएँ देनेवाले यहूदियोंमें पॉल एक प्रमुख व्यक्ति था, जिसे यहूदी लोग सॉल कहते थे । दमस्कसके सीलाई नेताओंको पकड़कर यरूशलेमके प्रमुख धर्माधिकारीके पास भेजनेके हेतुसे वह जा रहा था कि दमास्कसके पास उसे अचानक देदीप्यमान् प्रकाश दिखाई दिया और वह नीचे गिर गया। तब उसे यह आकाशवाणी सुनाई दी कि " सॉल, सॉल, तुम मुझे क्यों सताते हो ?" पॉलने जब यह प्रश्न किया कि, “प्रभु, तुम कौन हो?" तब उसे उत्तर मिला कि, “ मैं वही ईसा हूँ जिसे तुम सताते हो!...." पॉल उठ खड़ा हुआ; परंतु आँखें चौंधिया जानेसे उसे कुछ दिखाई नहीं दिया। साथके लोग हाथ पकड़कर उसे शहरमें ले गये। तीन दिन तक उसे कुछ दिखाई न दिया और न अन्न खाया गया। अन्तमें अनानियास नामक ईसा-भक्त ने उसे ठीक कर दिया और बपतिस्मा ( दीक्षा ) दिया। तबसे वह अत्यंत उत्साही ईसाभक्त बन गया। वह भी पहले यहूदियोंको ही धर्मोपदेश देता था; परंतु वे सुनते नहीं थे और उसका विरोध करते थे; इतना ही नहीं बल्कि उसे मार डालनेका भी षड्यंत्र उन्होंने रचा था। तब उसने विदेशियोंको उपदेश देनेका निश्चय किया। एक स्थानपर वह यहूदियोंसे कहता है कि, " मेरे लिए यह उचित था कि भगवान्का शब्द पहले तुम्हें सुनाऊँ; पर तुम उसका निषेध करते हो और अपनेको अमृतत्वके लिए अयोग्य समझते हो। यह देखकर अब हम विदेशियोंकी ओर जाते हैं।" ( Acts 13-46 )* *Also Acts 18-6, 28-25-28
SR No.010817
Book TitleParshwanath ka Chaturyam Dharm
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmanand Kosambi, Shripad Joshi
PublisherDharmanand Smarak Trust
Publication Year1957
Total Pages136
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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