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________________ मोतियोंकी खेती सकती। उन उच्चतर सम्पदाओंकी खरीदके लिए और भी ऊंची चालके मोतियोंकी उपज करना आवश्यक है। कथागुरुकी चिन्ता है कि आजके युगमें कितने और कौन-से ऐसे व्यक्ति निकलेंगे जो उन नये मोतियोंकी खेतीके लिए अपने अन्न और धनके खेतोंकी खड़ी फसलोंमें आग लगानेके लिए तैयार होंगे ! निःसन्देह जिस दिन इस पृथ्वीपर उन नयी चालके मोतियोंकी खेती यथेष्ट मात्रामें होने लगेगी उस दिनसे पृथ्वी पर अन्नकी आवश्यकता न रह जायगी, क्योकि तब मनुष्य किसी रहस्यमयी रीतिसे जीवनकी उन आवश्यकताओंको सीधे ही प्राप्त करने लगेगा जिनका एक अत्यल्प अंश हो वह अभी अन्न और धनके माध्यमसे प्राप्त करता है ।
SR No.010816
Book TitleMere Katha Guru ka Kahna Hai Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavi
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year1991
Total Pages179
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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