SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 574
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ योगशास्त्र : पंचम प्रकाश अर्थ-एक नाड़ी में वायुडाई घड़ी-(एक घंटा) तक बहती है, उसके बाद उस नाड़ी को छोड़कर दूसरी नाड़ी में बहने लगती है। इस प्रकार परिवर्तन होता है। एक स्वस्थ पुरुष में एक रात-दिन में २१६०० प्राणवायु का गमागम (श्वासोच्छ्वास) होता है। वायु-संचार को नहीं जानने वाले तत्त्व निर्णय के अधिकारी नहीं होते । इ कहते हैं मुग्धधीर्यः समोरस्य, संक्रान्तिमपि वेत्ति न । तत्त्वनिर्णयवार्ता स कथं कर्तुं प्रवर्तते ?॥२६३॥ अर्थ-मुग्ध या अल्प बुद्धि वाला जो पुरुष वायु के संचार को भी नहीं जानता, वह तत्वनिर्णय की बात करने में कैसे प्रवृत्त हो सकता है ? तत्त्वनिर्णय के लिए वायु-संक्रमण को जानना अत्यन्त आवश्यक है। अब आठ श्लोकों मे वेष-विधि कहते हैं पूरितं पूरकेणाधोमुखं हृत्पद्ममुन्मिषेत् । ऊर्ध्वस्रोतो भवेत् तच्च, कुम्भकेन प्रबोधितम् । २६४॥ आक्षिप्य रेचकेनाऽथ, कर्षे वायु हृदम्बुजात् । ऊर्ध्वस्रोतः पथथि भित्वा ब्रह्मपुरं नयेत् ॥२६॥ ब्रह्मरन्ध्रात् निष्क्रम्याऽथ, योगो कृतकुतूहलः । समाधितोऽकंतूलेषु, वेषं कुर्याच्छनः शनैः ॥२६६॥ मुहस्तत्र कृताभ्यासो, मालतानुकुलादिषु । स्थिर-लक्ष्यतया वेधं, सदा कुर्यादतन्द्रितः ।२६७॥ दृढ़ाभ्यासस्तत कुर्याद् वेषं वरूणवायुना। कर्पूरागुरुकुष्ठादिगन्धद्रव्येषु सर्वतः ॥२६॥ एतेषु लब्धलक्ष्योऽय, वायुसंयोजने पटुः । पक्षिकायेषु सूक्ष्मेषु, विवध्याद् वेधमुद्यतः ॥२६९॥ पतंग-मुंग-कायेषु, ती मृगेष्वपि । अनन्यमानसो धीरः संचरेद् विजितेन्द्रियः ॥२७॥ नगवरिकाय, प्रविशन् निःसरन्निति । कुर्वीत संक्रमं पुस्तोपलरूपेष्वपि क्रमात् ।।२७१॥ अर्थ-पूरकक्रिया के द्वारा जब वायु भीतर ग्रहण की जाती है, तब हदयकमल अधोमुख होता है और संकुचित हो जाता है। उसी हदयकमल में कुंभक करने से वह विकसित और ऊर्ध्वमुख हो जाता है, उसके बाद हृदय-कमल की वायु को रेचक क्रिया द्वारा खींचे। इस रेचककिया द्वारा वायु को बाहर न निकाले ; अपितु ऊर्वस्त्रोत बना कर मार्ग
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy