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________________ ५४२ योगशास्त्र : पंचम प्रकाश इन्दुमुष्णं रवि शीतं, छिद्र भूमौ रवावपि । जिह्वां श्यामां मुखं कोकनदाभं च यदेक्षते ।।१५६॥ तालुकम्पो मनःशोको, वर्णोऽङ्गनेकधा यदा। नामेश्चाकस्मिकी हिक्का मत्युर्मासद्वयात् तदा ॥१५७॥ अर्थ-यदि किसी को चनमा उष्ण, सूर्य ठंडा, पृथ्वी और सूर्यमण्डल में छिछ दिखाई दे, अपनी जीम काली, मुख लालकमल के समान दिखाई दे ; और जिसके तालु में कम्पन हो, निष्कारण मन में शोक हो, शरीर में अनेक प्रकार के रंग पैदा होने लगें और नाभिकमल से अकस्मात् हिचकी उठे तो उपकी मृत्यु दो मास में हो जाती है। जिहा नास्वादमावत्ते मुहः स्खलति भाषणे । श्रोने न शृणुतः शब्द, गन्धं वेत्ति न नासिका ।१५८ । स्पन्देते नयने नित्यं, दृष्टवस्तुन्यपि भ्रमः । नक्तमिन्द्रधनुः पश्येत्, तथोल्कापतनं विवा ॥१५९॥ न यामात्मनः पश्येद् दर्पणे सलिलेऽपि वा। अनब्दां विद्यु तं पश्येत् शिरोऽकस्मादपि ज्वलेत् ॥१६॥ हंस-काक-मयूराणां, पश्येच्च क्वापि संहतिम् । शीतोष्णखरमद्वादेरपि, स्पर्श न वेति च ॥१६॥ अमीषां लक्ष्मणां मध्याद्, यदेकमपि दृश्यते । जन्तोभवति मासेन, तदा मृत्युन संशयः ॥१६२॥ अर्थ-यदि किसी की जीभ स्वाद को न पहचान सकती हो, बोलते समय बार-बार लड़खड़ाती हो, कानों से शब्द न सुनाई देता हो और नासिका गन्ध को न जान पाती हो, नेत्र हमेशा फड़कते रहें, देखी हुई वस्तु में भी भ्रम उत्पन्न होने लगे, रात में इन्द्रधनुष देखे, दिन में उल्कापात दिखाई दे; वर्पण में अथवा पानी में अपनी आकृति दिखाई न दे, बादल न होने पर भी बिजली दिखाई दे, और अकस्मात् मस्तक में जलन हो जाए ; हंसों, कौओं और मयरों का कहीं भी दिखाई दे, वायु के ठंडे, गर्म, कठोर या कोमल स्पर्श का मान भी नष्ट हो जाए। इन सभी लक्षणों में से कोई भी एक लक्षण दिखाई दे तो उस मनुष्य की को निःसन्देह एक महीने में मृत्यु हो जाती है। शीते हकारे फुत्कारे, चोष्णे स्मृतिगतिक्षये । अंगपंचकर्शत्ये च, स्याद् दशाहेन पंचता ॥१३॥ अर्थ-अपना मुख फाड़कर 'ह' अक्षर का उच्चारण करते समय श्वास ग निकले, फूक के साथ श्वास बाहर निकालते समय गर्म प्रतीत हो, स्मरणशक्ति लुप्त हो जाए, चलने फिरने की शक्ति खत्म हो जाए, शरीर के पांचों अंग ठंडे पड़ जाएं तो उसकी मृत्यु बस दिन में होती है। तथा
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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