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________________ कालमान के विभिन्न उपाय ५४१ छाया में एक पत्र जिस दिन विकसित होता हुआ दिखाई दे तो समझ लेना कि उसी दिन उसी तिथि को छह महीने के अन्त में मृत्यु होगी।। इन्द्रनीलसमच्छाया वक्रीभूता सहस्रशः । मुक्ताफलालङकरणाः पन्नगाः सूक्ष्ममूर्तयः ॥१४९॥ दिवा सम्मुखमायान्तो दृश्यन्ते व्योम्नि सन्निधौ । न दृश्यन्ते यदा ते तु षण्मास्यन्ते मृतिस्तदा ॥१५०॥ अर्थ-जब आकाश बादलों से रहित हो, उस समय मनुष्य धूप में स्थिर रहे, तब उसे इन्द्रनील-मणि को कान्ति के समान टेढ़े-मेढ़े हजारों मोतियों के अलंकार वाले तथा सूक्ष्म आकृति के सर्प सन्मुख आते हुए दिखाई देते हैं, किन्तु जब वे सर्प न दिखाई तो समझना कि छह महीने के अन्त में उसकी मृत्यु होगी। स्वप्ने मुण्डितमस्तिष्कं, रक्तगन्धस्त्रगम्बरम् । पश्येद् याभ्यां खरे यान्तं, स्वं योऽन्दाध स जोवति ॥१५१॥ अर्थ- जो मनुष्य स्वप्न में अपना मस्तक मुंडा हुआ, तेल की मालिश किये हुए लाल रंग का पतार्थ शरीर पर लेप किया हुआ, गले में लाल रंग की माला पहने हर, और लाल रंग के वस्त्र पहन कर गधे पर चढ़ कर दक्षिणदिशा की ओर जाता हुआ देखता है, उसको छह महीने में मृत्यु होती है। घण्टानादो रतान्ते चेद्, अकस्मादनुभूयते । पंचता पंचमास्यन्ते तदा भवति निश्चितम् ॥१२॥ अर्थ--जिसको विषय सेवन करने के बाद अकस्मात् ही शरीर में घंटे की आवाज सुनाई दे तो निश्चय ही उसकी च मास के अन्त में मृत्यु होगी। तथा शिरोवेगात् समाला, कृकलासो व्रजन् यदि । ध्याद वर्णत्रयं पंचमास्यन्ते मरणं तदा ॥१५३॥ अर्थ-- जिस व्यक्ति के सिर पर कदाचित् कोई गिरगिट तेजी से चढ़ जाए और जाते समय तीन बार रंग बदले तो, उस व्यक्ति की मृत्यु पांच मास के अन्त में होती है। वक्रीभवति नासा चेद, वर्तुलीभवतो दृशौ। स्व-स्थानाद् घश्यतः कणौ. चतुर्मास्यां तदा मति ॥१४॥ अर्थ-यवि किसी मनुष्य को नाफ टेढ़ी हो जाए, आंखें गोल हो जाएं और कान आदि अन्य अंग अपने स्थान से भ्रष्ट या शिथिल हो जाएं तो उसको चार महीने में मृत्यु होती है। कृष्णं कृष्णपरीवारं लोहदण्डधरं नरम् । यदा स्वप्ने निरीक्षेत, मृत्युर्मासस्त्रिभिस्तदा ॥१५॥ अर्थ-यदि स्वप्न में काले रंग का काले परिवार वाला और लोहवण्डारी मनुष्य दिखाई दे तो उसको मृत्यु तीन महीने में होती है।
SR No.010813
Book TitleYogshastra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmavijay
PublisherNirgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1975
Total Pages635
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size48 MB
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