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________________ यदि इसे ही दाँयी ओर से खींचा गया तो वह अन्य ढंग का होगा। इमी तरह वायीं ओर कैमरा रखकर फोटो खींचने से हाथी का चित्र पहिले तोन चित्रों ने विलक्षण होगा। इस तरह एक ही हाथी के ये चित्र भिन्न-भिन्न दिशा और कोणों से भिन्न-भिन्न प्रकार के होंगे। यद्यपि ये सभी एक दूसरे से विलक्षण हैं, तथापि हैं सव वास्तविक और एक ही हाथी के। तर्जनी (अंगूठे के पड़ोम की अंगुली) वड़ी भी है, क्योंकि अंगूठे मे तथा कनिष्ठा (पाँचवीं; मवसे छोटी अँगली) से लम्वाई में वह बड़ी है, परन्तु मध्यमा (बीच की अंगुली) में वह छोटी भी है ! इस तरह उसका छोटा और बड़ा होना उस एक ही नर्जनी में पाया जाता है। यह विरोधी है तथापि मापेक्ष होने में सही, संगत और मंतुलित है। हमाग भारत देश हिन्द महामागर में उत्तर दिशा में है, हिमालय से दक्षिण में है. अरव देश में पूर्व में है और ब्रह्म देश (वर्मा) स पश्चिम में है। आकार मे नीचे की ओर है और पाताल से ऊपर की ओर है। इस तरह एक ही भारत देश इन छर दिगाओं से छह तरह का है, छह तरह में कहा तथा माना जाता है; ये छहों वाते परम्पर-विरोधी है, तथापि विल्कुल ठीक हैं । पांच वर्ष का वच्चा अपने तीम वर्ष के पिता से छोटा भी है, क्योंकि उसका गरीर छोटा है. गरीर निर्बल है. बद्धि अल्प है। परन्तु वही पाँच वर्ष का वच्चा अपनी दो वर्प को वहन मे वड़ा भी है । और वास्तव में आयु की अपेक्षा देखा जाए तो वह पांच वर्ष का बच्चा अपने ६५ वर्ष के वावा (दादा) से ६० वर्ष नथा अपने पिता से ३० वर्ष वड़ा है, क्योंकि उसके वावा ने अपनी आय के ६५ वर्ष ममाप्त कर दिये हैं जवकि उस बच्चे ने अभी केवल पांच वर्ष ह. विताये हैं। उसका पिता अपने जीवन के ३० वर्ष बिता चुका जवकि उस बच्चे क अभी पाँच वर्ष ही बीते हैं। यदि तीनों की आय ८०-८० वर्ष हो तो उसका वावा केवल १५ वर्ष और जियेगा, उसका पिता
SR No.010812
Book TitleTirthankar Varddhaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandmuni
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1973
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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