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________________ ७५ ६०५ वर्ष ५ मासा कायही अंतर दिगम्बरों में भी मान्य है । हम यहाँ तत्संबंधी कुछ प्रमाण दे रहे है (१) पणहस्सयवस्सं पणभासजुवं गोमय वीरणिन्बुइदो । सगराजोतो काकी चदुणव तिमहिय सगमासम् ॥५०॥ -नेमिचन्द्र सिद्धान्त चक्रवर्ती रचित 'त्रिलोकसार' (२) वर्वाणां षट्शाती त्यक्तवा पंचानां मास पंचकम् । मुक्तिगते महावीरे शकराजस्सतोऽभवत् ॥६०-५४९॥ ___-जिनसेनाचार्य रचित 'हरिवंशपुराण'। (३) णिव्वाणे वीरजिणे छव्यास सदेसु पंचविरिसेसु । पणमासेसु गदेसु संजादो सगणिो अहवा ॥ -तिलोयपण्णत्ति.' भाग १ पृष्ठ ३४९॥ (४) पंच य मासा पंच य वाला छच्चेव होंति वारुतया । सगकालेण च सहिया थावेपथ्यो वदो रासी ॥ -धवला (जैन सि. भवन आग), पत्र ५३७ वर्तमान ईस्वी सन् १९७३ में शक संवत् १८९४ है। इस प्रकार ईस्वी सन् और शक संवत्सर में ७९ वर्ष का अन्तर हुआ । भगवान महावीर का निर्वाण शक संवत् मे ६०५ वर्ष ५ मास पूर्व हुआ। इस प्रकार ६०६ में से ७९ घटा देने पर महावीर का निर्वाण ईसवी पूर्व ५२७ में सिद्ध होता है। केवल शक संवत् से ही नहीं, विक्रम संवत् से भी महावीर निर्वाण का अन्तर जैन साहित्य में वर्णित है। 'तपागच्छ पट्टावाल' में पाट आता है "जं रणि कालगओ, अरिहा तित्थंकरो महावीरो । तं रणि अवणिवई, महिसित्तो पालो राया ॥१॥ पट्टी पालयरण्णो ६०, पणवण्णसयं तु होइ नंदाणं ।१५५ अट्ठसयं मुरिमाणं १०८, तीसच्चिय पूसमित्तस्स ३० ॥२॥ बलभित्त माणुमित्त सट्ठी ६०, परिसाणी चत्तनहवाणे ४०० तह गभिल्लरज्वं तेरस १३ वरिस सगस्स चवरिसा ॥३॥'श्री विक्रमादित्यश्च प्रतिबोषितस्तवाज्यं तु भी वीर सप्ततिः चतुष्टये ४७० संजातं ।"
SR No.010812
Book TitleTirthankar Varddhaman
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyanandmuni
PublisherVeer Nirvan Granth Prakashan Samiti
Publication Year1973
Total Pages100
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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