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________________ उत्तमसत्य ०१ वाणी की सत्यता के लिए वाणो को वस्तुस्वरूप के अनुकूल ढालना होगा। सत्य बोलने के लिए मत्य जानना जरूरी है। सत्य को जाने विना सत्य कैसे बोला जा सकता है ? बहुत से लोग कहते हैं इसमें क्या है ? जैसा देखा, जाना, सुना - वैसा ही कह दिया सो सत्य है। इसी आधार पर वे करते हैं कि सत्य वोलना सरल है और झूठ बोलना कठिन । कोंकि उनके अनुसार मत्य वोलने में क्या है - जैसा देखा, जाना, सुना वैमा ही कह दिया; पर झूठ बोलने के लिए योजना बनानी पड़ती है, घर में सब लोगों को टेन्ड करना पड़ता है कि कही झूठ खुल न जाए । एक भूट के पीछे हजार झूठ बोलने पड़ते हैं, फिर भी उसके खुल जाने की शंका बनी ही रहती है। जैसे-किसी ने दरवाजा खटखटाया या फोन की घंटी बजी। दरवाजा खोलते ही या फोन का रिमीवर उठाते ही सामने वाले ने पूछा - अमुक व्यक्ति है ? यदि सत्य कहना है तो तत्काल कह दिया 'है' अथवा 'नहीं'। पर यदि झूठ कहना है तो 'देखता हूँ, आप कौन हैं ? क्या काम है ?' आदि लम्बी प्रश्न-गची उमके मामने खड़ी करनी होगी और अंदर पूछकर उत्तर दिया जायगा। यदि वालक या चपरासी झूठ बोलने में कुशल न हया तो यह भी कह मकता है कि पिताजो कहते हैं या माइब कहते हैं कि कह दो घर पर नहीं हैं । यदि उमने ठीक-ठीक कह भी दिया कि 'नही है', फिर भी किसी दूमरे के द्वाग कभी पर्दाफाश भी हो मकना है। अत: उनके अनुसार सत्य बोलना आमान है और झूठ बोलना कठिन । पर मेग कहना है कि यह मारी कवायद भाट बोलने के लिए नहीं; झठ छिगने के लिए करनी पनी है, नाठ को मन्य का लबादा पहनाने के लिए करनी पड़ती है। भ.ठ बोलने में क्या है ? विना सोचेममझे चाहे जो वोलते जाटा, वह गारंटी मे झूट तो होगा ही। कोई पूछे - दिल्ली में कितने कौए है ? मत्य बोलने वाले को मोचना पड़ेगा। हो सकता है कि वह उत्तर दे ही न पाए या यह कहना पड़ेगा कि मुझे नहीं मालूम । पर झट बोलने वाले को क्या? कुछ भी संख्या बता दे । विना गिने जो भी संख्या बताएगा वह झूट तो गारंटी से होगी ही। मैं ही आप लोगों से पूछता हूँ कि आजकन्न मूर्य कितने बजे उगता है ? बताइये, आप चप क्यों हो गए ? इसलिए कि आप झूठ बोलना नहीं चाहते और सत्य का पता नहीं है। झूठ ही बोलना
SR No.010808
Book TitleDharm ke Dash Lakshan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukamchand Bharilla
PublisherTodarmal Granthamala Jaipur
Publication Year1983
Total Pages193
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Paryushan
File Size13 MB
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