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________________ आचा० SECREGARCASRAL अट्टविहेण उ कम्मेण,एत्थ होई अहीगारो ॥ १८४ ॥ आठ प्रकारना कर्म वढे अहीं अधिकार छे अने एज प्रमाणे सूत्र अनुगमवढे सूत्र बरोबर उच्चारतां निक्षेप नियुक्ति अनुगमवडे | सूत्रम् दरेक पदमां नामादि निक्षेपा करीने व्याख्यान कयु. हवे ते उत्तरकाळना मूत्रनुं विवरण करे छे. ॥२७८॥ __ जे गुणे से मुलढाणे, जे मूलठ्ठाणे से गुणे । इति से गुण्ठी महया परियावेणं पुणो पुणो रसे है। पमत्ते पिया मे माया मे भज्जा मे पुत्ता मे धुआ मेण्हुसामे सहिसयणसंगथसंथुआ मे, बिवित्तुवगरणपरिवणभोयणच्छायणं मे । इच्चत्थं गढिए लोए अहो य राओ य परितप्पमाणे कालाकालसमुठ्ठाई, संजोगट्ठो अट्टोलोभीआलंपेसहसाकारे, वेणिविठ्ठा चित्ते, एत्थ सत्थे पुणो, पुणो अप्पं च खलु आ'उयं इह मेगेसिंमाणवाणं तंजहा ॥ ६२ ॥ पूर्वना सूत्र साथे तथा ते अगाउना सूत्रो साथे ६२ मा सूत्रनो संबंध बताववो ते आ प्रमाणे छे, गया सूत्रमा कह्यु हतुं केः-"सेहुमुणि" इत्यादि. ते मुनि परिज्ञातकर्मा छे, जेने आ मळ गुण विगेरे मळेला छे. परंपर सूत्र संबंध आ प्रमाणे छे. 'सेजं पुण' विगेरे एटले जे पोतानी बुद्धिवडे अथवा तीर्थकरना उपदेशथी, अथवा तीर्थकर शिवाय बीजा आचार्य पासेथी सांभळीने जे जाणे; अने तेनो विचार करे; ते जे गुणु छे, ते मूळ स्थान छे, एमःवीजां सूत्रो साथे
SR No.010803
Book TitleAgam 01 Ang 01 Acharang Sutra Part 02
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhadrabahu, Shilankacharya
PublisherShravak Hiralal Hansraj
Publication Year1933
Total Pages890
LanguagePrakrit, Sanskrit, Gujarati
ClassificationManuscript, Agam, Canon, & agam_acharang
File Size40 MB
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